अफगान मीडिया के मुताबिक, पंजशीर में विद्रोही नेताओं के लीडर अमरुल्ला सालेह ताजिकिस्तान भाग गए हैं। एक दिन पहले ही सालेह ने ब्रिटिश न्यूज पेपर में लिखे अपने आर्टिकल में कहा था कि वो तालिबानियों के आगे सरेंडर करना नहीं चाहते। इस आर्टिकल में उन्होंने अपनी फैमिली को लेकर डर की बात भी जाहिर की थी।
सालेह ने बताया- जिस दिन काबुल तालिबानियों के कब्जे में गया, उससे पहले मैं काबुल स्थित अपने घर गया। अपनी बेटी और बीवी की तस्वीरें जला दीं। अपना कम्प्यूटर बटोरा और फिर अपने चीफ गार्ड रहीम से कहा कि अपना हाथ कुरान पर रखो। मैंने उससे कहा कि हम पंजशीर जा रहे हैं और सड़कों पर तालिबानियों का कब्जा है। हम लड़ेंगे और साथ मिलकर लड़ेंगे। अगर मैं घायल हो जाऊं तो मेरे सिर में 2 गोलियां मार देना। मैं तालिबान के आगे घुटने नहीं टेकना चाहता हूं।
उन्होंने आर्टिकल में लिखा था- जब काबुल में कब्जे से पहले इंटेलिजेंस चीफ मेरे पास आए और कहा कि जहां भी आप जाएंगे, मैं साथ चलूंगा। अगर तालिबानियों ने रास्ता रोक भी लिया तो हम आखिरी जंग साथ-साथ लड़ेंगे। वो राजनेता जो विदेशों के होटलों और विला में रह रहे हैं, उन्होंने अपने ही लोगों से दगा किया। ये लोग अब गरीब अफगानियों से विद्रोह करने को कह रहे हैं। ये कायरता है। अगर हमें विद्रोह चाहते हैं तो इस विद्रोह की अगुआई भी होनी चाहिए।
रविवार को तालिबान की मदद करने के लिए पाकिस्तानी पायलट्स ने रेजिस्टेंस फोर्सेज के ठिकानों पर ड्रोन से हवाई हमले किए। इसके बाद सालेह ताजिकिस्तान भाग गए। अहमद मसूद पंजशीर में ही सुरक्षित ठिकाने पर हैं, लेकिन पंजशीर अब तालिबान के कब्जे में आ गया है।
By : Ashish Kumar
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