बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने आज लखनऊ में प्रबुद्ध सम्मेलन में ब्राह्मणों को लुभाने के लिए यह वादा किया कि यदि प्रदेश में बसपा की सरकार बनती है तो उनका ध्यान रखा जाएगा। ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए बसपा ने जगह-जगह सम्मेलन करके अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इससे पहले बसपा ने 23 जुलाई को अयोध्या में 'ब्राह्मण सम्मेलन' आयोजित की थी जिसका नाम बाद में बदलकर 'प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान में संगोष्ठी' कर दिया गया था।
इसी तरह समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में 22 अगस्त से जिला स्तरीय ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए ब्राह्मण मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश शुरू की। अखिलेश पार्टी के पांच बड़े ब्राह्मण नेताओं से मिलकर चुनाव की रणनीति पर मंथन करते नजर आए। उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से जानने वाले कहते हैं पहले ओबीसी, दलित और मुस्लिम वोट बैंक पर पार्टियों की नजर ज्यादा हुआ करती थी, लेकिन ऐसा लग रहा है, 2022 के चुनाव के केंद्र में ब्राह्मण रहने वाले हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 12 प्रतिशत जाटव हैं। जाटवों के बाद ब्राह्मण दूसरे स्थान पर हैं। इनकी आबादी लगभग 10 प्रतिशत है। कुल जनसंख्या में ब्राह्मणों की हिस्सेदारी के मामले में, उत्तर प्रदेश दो पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर आता है। जो राज्य की राजनीति पर पर्याप्त प्रभाव डाल सकता है। यही वह संख्या है, जो सभी राजनीतिक दलों को एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने पर मजबूर कर रही है।
By : Ashish Kumar
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