डा सिद्दीकी ने अपने व्याख्यान के अंतर्गत बताया कि शोधार्थी किस प्रकार अपने शोधकार्यों मे साहित्यिक चोरी से बच सकते हैं और एक अच्छा शोध कार्य कर सकते हैं जो समाज और राष्ट्र की उन्नति मे सहायक सिद्ध होगा । डा सिद्दीकी ने शोधार्थियों को साहित्यक चोरी से बचाव हेतु विभिन्न बिन्दुओं पर प्रकाश डाला और मुख्य रूप से शोध के दौरान शोधकर्ता की ईमानदारी पर विशेष बल दिया l डॉ सिद्दीकी ने अपने व्याख्यान में शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध कार्य एक शैक्षणिक जीवन का सर्वाधिक जिम्मेदारी पूर्ण कार्य है । शोधार्थियों को शोध कार्य में मूल्य , सुचिता , नैतिकता का पालन करना चाहिए ।
शोध कार्य में एक हाथ में प्रमाण रखकर ही बात करनी चाहिए । शोध कार्य में अधिकारिकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए । शोधार्थी विगत में किए गए शोध कार्य से दिशानिर्देश लेकर आने वाले शोधार्थियों के दिशा निर्देशन का कार्य भी करते हैं ।शोध कार्य की गुणवत्ता एवं सुचिता इस बात पर निर्भर करती है कि शोधार्थी अपने शोध कार्य में प्रयुक्त उद्धरणों का उल्लेख ईमानदारी से उचित प्रारूप में करें। राजनीति विज्ञान विभाग के अधिष्ठाता प्रोफेसर सुनील महावर के द्वारा बताया गया कि शोधार्थियों को अपने शोध कार्यो मे नैतिक मूल्यों का ध्यान रखना चाहिए तथा अपने शोधकार्यों मे साहित्यक चोरी नही करनी चाहिए।
व्याख्यान का आयोजन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ नरेंद्र सिंह के निर्देशन में किया गया। डॉ सिंह ने कहा कि इस तरह के विशेष व्याख्यान का आयोजन विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास एवं शोधार्थियों के शोध कार्य को सफल बनाने के लिए बहुत आवश्यक है । इसके द्वारा विद्यार्थियों अपने शोधकार्यों मे अनैतिकता से बचे रह सकते है। कार्यक्रम का संचालन मनोज कुमार चौधरी के द्वारा किया गया l कार्यक्रम में निखिल, गौरव, संदीप, पूजा, शिवम, सुजीत, कौशल, अफसाना, एवं सभी शोधार्थी एव विद्यार्थियों की उपस्थिति मुख्य रूप से रही।
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