मौजूदा वक्त में स्मार्टफोन, इयरबड्स, टैबलेट, गेमिंग कंसोल समेत अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए अलग चार्जर मौजूद हैं। जिसकी वजह से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की लागत बढ़ जाती है। साथ ही बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होता है। यूरोपियन यूनियन का मानना है कि अगर यूनिवर्सल चार्जर का नियम लागू होता है, तो सालाना 11,000 टन पैदा होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरे को रोका जा सकेगा। ऐसे में यूरोपियन यूनियन (EU) की तरफ से एक प्रस्ताव पारित करते हुए सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए USB-C चार्जर के इस्तेमाल का आदेश दिया है। मतलब इस नियम के लागू होने के बाद आप किसी का भी चार्जर लेकर अपने डिवाइस को चार्ज कर सकेंगे।
फैसले का असर
अगर यूरोपियन यूनियन से नया कानून पारित हो जाता है, तो स्मार्टफोन निर्माताओं को 24 माह के अंदर इसे लागू करना होगा। हालांकि Apple की तरफ से यूरोपियन यूनियन के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है। उसका कहना है कि इस तरह के फैसले से इनोवेशन खत्म हो जाएगा। लेकिन कई एक्सपर्ट का मानना है कि वायरलेस चार्जिंग इसका समाधान हो सकता है। यूनिवर्सल चार्ज का नया नियम खासतौर पर स्मार्टफोन और छोटी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए होगा। इसमें लैपटॉप और अन्य बड़े डिवाइस को शामिल नहीं किया जाएगा।
0 Comments