17 सितंबर 2020 लोकसभा ने 3 नए कृषि विधेयकों को पास किया
• आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020
इस कानून के तहत अनाज दलहन तिलहन ए खाद्य तेल प्याज आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया
• कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य कानून 2020
इस कानून के तहत किसान एपीएमसी के बाहर भी अपने उत्पाद बेच सकते थे
• कृषक सशक्तिकरण और संरक्षण कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020
इस कानून के तहत किसान फसल उगाने से पहले तय मानकों और तय कीमत के हिसाब से अपनी फसल को भेज सकते थे ।
राज्यसभा के बड़े हंगामे के बाद भी 27 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन गया और फिर शुरू हुआ किसानों का हंगामा देश के करीब 500 अलग-अलग संगठनों ने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया और उसके नेतृत्व में पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली कूच करने का फैसला किया सरकार का कहना था यह किसानों के हित के लिए और इससे उन्हें बहुत फायदा होने वाला है पर वही किसान संगठनों का मानना था कि यह कानून लागू होते हैं कृषि क्षेत्र में पूंजीपतियों या कॉर्पोरेट घराने के हाथों में चला जाएगा और कृषि कानूनों को लाकर सरकार पिछले दरवाजे से MSP को हटाने की साजिश रच रही है ।
इस बीच देश के दो हिस्से हो चुके थे ,एक तरफ वो लोग जो सरकार के समर्थन में थे तो दूसरी तरफ जो किसानों के साथ थे और इस बिल को काले कानून बता रहे थे,सारी विपक्षी पार्टियां भी सरकार को घेरने में लगी थी और कृषि कानून को काले कानून साबित करने में लगी थी और इसी के साथ आंदोलन तेज होते जा रहा था ।
सरकार और किसानों में बहुत दौर की वार्ता हुई पर परिणाम कुछ निकल के नही आया सरकार लिखित तौर पर MSP को और नाही बाकी मांगो को देने को तैयार थी और ना ही किसान आंदोलन को छोड़ कर घर वापसी को तैयार थे ।
19 नवंबर 2021 का दिन विरोध कर रहे किसानों के लिए एक बहुत बड़े समारोह और जीत का दिन बन गया जब सुबह 9:00 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन किया और कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया।
* प्रभा की कलम से *
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