मोतिहारी, 7 अक्टूबर।
-गांधी दर्शन आज भी है प्रासंगिकः कुलपति
-गांधी के ग्रामोदय ग्रामीण प्रवेश की आर्थिक सुदृढ़ता और सदाचार को आचरण में उतारने पर हुई चर्चा
-केंद्रीय विश्वविद्यालय में 'गांधी के विचारों से दार्शनिक समझः भविष्य के अध्ययन के लिए प्रमुख मुद्दे' विषयक अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का हुआ आयोजन
- संयोजक डॉ.असलम खान ने विषय प्रवर्तन किया
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के गांधी एवं शांति विभाग के तत्वावधान में गुरुवार को 'गांधी के विचारों से दार्शनिक समझः भविष्य के अध्ययन के लिए प्रमुख मुद्दे' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित इस वेबीनार कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्री इला गांधी ने अपने दादा महात्मा गांधी के साथ के यादों को साझा करते हुए कई अहम चर्चा की। इस दौरान उन्होंने गांधी जी के ग्रामोदय, ग्रामीण परिवेश की आर्थिक सुदृढ़ता के साथ-साथ ग्राम स्वराज, स्वच्छता सहित कई अहम विचारों को विस्तार पूर्वक बताया ।
उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों के लोगों को गांधी के सदाचार को अपने जीवन में समाहित करते हुए उतारने की जरूरत है। वर्तमान में देश के विभिन्न क्षेत्रों और समाज में मौजूदा अनुशासन की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति संकल्प कर ले कि वह अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करेंगे तो उसके अधिकार का कभी हनन नहीं होगा।
अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार की अध्यक्षता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनंद प्रकाश ने की। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए हिंद स्वराज पुस्तक की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जो चीजें वर्तमान परिदृश्य में विद्यमान हैं, उसकी परिकल्पना गांधी जी ने वर्षों पूर्व कर ली थी। गांधी दर्शन भावी दृष्टिकोण से भी प्रासंगिक दिखाई पड़ता है।
कार्यक्रम की शुरुआत सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. सुनील महावर ने अतिथियों का स्वागत से हुई। गांधी एवं शांति विभाग के प्रोफेसर सह संयोजक डॉ. असलम खान ने वेबीनार में विषय प्रवर्तन कराया। डॉक्टर खान ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्री एवं वेबीनार की मुख्य वक्ता इला गांधी को संबोधन के लिए मंच पर आमंत्रित किया।
इस अवसर पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जुगल किशोर दाधीच ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ .अभय विक्रम सिंह ने किया।
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