स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के जिरादेई में 3 दिसंबर 1884 हुआ था । ये देश में इतने लोकप्रिय थे की इन्हें राजेंद्र बाबू और देश रत्न कह कर बुलाया जाता था । वे विद्वता, सादगी और ईमानदारी के मिशाल थे । राजेंद्र प्रसाद बिहार के मुख्य नेता में से एक थे जिनका नाम स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में मुख्य रूप से लिया जाता है। इन्हे भारत जोड़ो आन्दोलन के दौरान जेल भी जाना पड़ा था ।
संविधान निर्माण में भीमराव अम्बेडकर व राजेन्द्र प्रसाद ने मुख्य भूमिका निभाई थी। भारतीय संविधान समिति के अध्यक्ष डॉ प्रसाद चुने गए। संविधान पर हस्ताक्षर करके डॉ प्रसाद ने ही इसे मान्यता दी ।
राष्ट्रपति के रूप में राजेन्द्र प्रसाद
आजादी के बाद बनी पहली सरकार में डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर खाद्य व कृषि विभाग का काम सौंपा गया । और फिर 1950 में जब भारत गणतंत्र राज्य बना तब ये देश के पहले राष्ट्रपति बने । 1957 में फिर राष्ट्रपति चुनाव हुए जिसमें दोबारा राजेंद्र प्रसाद जी को राष्ट्रपति बनाया गया। और दो बार राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा करने वाले इकलौते राष्ट्रपती बने । 1962 में इन्होंने पद त्याग कर दिया और पटना चले गए और बिहार विद्यापीठ में रहकर, जन सेवा कर जीवन व्यतीत करने लगे।
शिक्षा यात्रा
राजेन्द्र बाबू शुरू से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे , एक बार इनका एग्जाम आंसर शीट देखकर शिक्षक ने कहा, The Examinee is better than Examiner'।
दरअसल, आंशर शीट में गलती तो दूर की बात है,राजेंद्र बाबू की लिखावट को देखकर ही परीक्षक हैरान हो गये थे।
प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव से ही पूरी हुई फिर वे छपरा और पटना भी अध्यन करने गए । उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी जिसमे वे प्रथम स्थान प्राप्त किए और उन्हें रु. 30 प्रति माह छात्रवृत्ति मिलने लगी। 1902 में प्रसाद जी ने प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से इन्होंने स्नातक किया। सन 1915 में कानून में मास्टर की डिग्री पूरी की जिसके लिए उन्हें गोल्ड मेंडल से सम्मानित किया गया।
इसके बाद उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की । फिर प्रैक्टिस करने पटना चले गए ।
28 फरवरी 1963 को हुई मौत
जीवन के आखरी महीने में इन्होंने रहने के लिए पटना के निकट सदाकत आश्रम को चुना था जहा 28 फरवरी 1963 को उन्होंने आखरी सांस ली।
By : Prabha Dwivedi
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