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डॉ. श्याम नन्दन, फिजी में आयोजित होने वाले विश्व हिंदी सम्मेलन में करेंगे शोध-पत्र प्रस्तुती

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्याम नन्दन, फिजी में आयोजित होने वाले विश्व हिंदी सम्मेलन में अपना शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। ध्यातव्य है कि इस बार 12वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन, फिजी के नांदी द्वीप पर स्थित देनाराऊ कन्वेंशन सेंटर में 15 फरवरी से 17 फरवरी, 2023 तक आयोजित किया जाएगा।। डॉ. श्याम नंदन ने 'फिजी की हिंदी कविता में गिरमिटिया मजदूरों का जीवन-संघर्ष' शीर्षक शोध-पत्र विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रस्तुतिकरण एवं वाचन के लिए प्रेषित किया था, जिसे मूल्यांकन के पश्चात प्रस्तुतिकरण के लिए स्वीकृत कर लिया गया है। शोध-पत्र की स्वीकृति एवं सम्मेलन में उसके प्रस्तुतिकरण सह वाचन के आशय का एक अनुमति-पत्र विदेश मंत्रालय के राजभाषा अनुभाग द्वारा प्रेषित किया गया है।

डॉ. श्याम नन्दन ने अपने शोध पत्र में बताया है कि भारत के गरीब किसान-मजदूरों को भिन्न-भिन्न के प्रकार के प्रलोभन देकर अंग्रेज अपने उपनिवेशों में शर्तबंदी प्रथा के तहत लेकर गए । शर्तबंदी प्रथा के अंतर्गत पाँच साल के अनुबंध पर विदेश जाने वाले इन गरीब किसानों-मजदूरों को गिरमिटिया कहा जाने लगा। मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, त्रिनिडाड-टोबैगो, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका आदि अनेक ऐसे देश हैं, जहाँ पर इन गिरमिटिया मजदूरों को कृषि-कार्य हेतु अनुबंध पर ले जाया गया था। जिन देशों में ये गिरमिटिया मजदूर शर्तबंदी प्रथा के अंतर्गत ले जाए गए थे, उनमें से फिजी एक प्रमुख देश है, जो विभिन्न दीपों का एक समूह है।
अपना मूल देश छोड़कर दूसरे देश में जाकर रहते हुए इन प्रवासियों का जीवन विभिन्न प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त था। भाषा, संस्कृति, सामाजिक परिवेश आदि अनेक आयामों को सापेक्ष इन गिरमिटिया मजदूरों को स्वयं को समायोजित करना पड़ा । समायोजन की यह प्रक्रिया अत्यधिक कठिन और कष्टकारी थी। इन्हीं कष्टों और संघर्षों को इन गिरमिटिया मजदूरों और उनके वंशजों ने अपने साहित्य में अभिव्यक्त किया है। फिजी के गिरमिटिया मजदूरों के संबंध मे़ अपने शोध-पत्र में डॉ. श्याम नन्दन ने निष्कर्ष निकाला है कि फिजी की आज की समृद्धि और उसका सौंदर्य  गिरमिटिया मजदूरों के खून-पसीने से आया है | समृद्धि के इस शिखर तक फिजी को पहुँचाने के लिए गिरमिटिया मजदूरों की कई पीढ़ियों ने निरंतर संघर्ष किया है |  उन्होंने यातनाएँ सहीं, कष्ट झेले लेकिन फिजी को आगे बढ़ाने के लिए, उसका विकास करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे |  गिरमिटिया मजदूरों के संघर्षपूर्ण जीवन उनके दुख उनके कष्ट उनकी यातनाएँ, उनकी व्यथा और उनका संघर्ष सभी कुछ फिजी की हिंदी कविता में पूरी सच्चाई और मार्मिकता के साथ अभिव्यक्त हुआ  है |

डॉ. श्याम नन्दन के अब तक अब तक विभिन्न पुस्तकों में 04 अध्याय, प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में 18 शोध-पत्र/आलेख, आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से 04 रेडियो वार्ताएँ, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में 06 साक्षात्कार प्रकाशित हो चुके हैं  तथा | 25 राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों/कार्यशालाओं में प्रतिभागिता एवं शोध-पत्र प्रस्तुतीकरण किया है | डॉ. श्याम नन्दन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति में नामित सदस्य तथा विभिन अकादमिक एवं प्रशासनिक समितियों में सदस्य भी हैं |

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