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Hindi Diwash: कब मिला हिंदी को राज्यभाषा का दर्जा ?

करोड़ों लोगों की मातृ भाषा हिंदी, अपने ही देश में नजाने कितने गहरे घावों और अपमानो को सह कर आज भी मजबूती से खड़ी है । और 64 करोड़ लोगों की मातृभाषा है तो 20 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा है ।

आज यानी 14 सितंबर ही वह दिन है, जब साल 1949 में ‘हिंदी’ (Hindi diwas) को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला . तो चलिए जानते हैं आखिर कैसे बनी हिंदी हमारी राजभाषा. आजादी के बाद हिंदुस्तान की राजभाषा का मुद्दा सबसे जरूरी और विवादों में था. विवादित इसलिए क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां प्रयोग जाती हैं, ऐसे में राजभाषा का दर्जा किस एक भाषा को दिया जाए ये सवाल जरूरी था. काफी सोच- समझ कर संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया. 

14 सितंबर 1949 को सर्वसम्मति से संविधान सभा ने इसे स्वीकार कर लिया . तब उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को बढ़ाने के लिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने की सलाह दी.
आपको बता दे पहला हिंदी दिवस भारत में साल 1953 में मनाया गया.

हिंदी को एक आधिकारिक भाषा के रूप में दर्जा देने के पीछे का कारण ये है की , इस अनेक भाषाओं वाले राष्ट्र को प्रशासन को सरल और सहज बनाना था। हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाने के लिए देश के कई लेखकों, कवियों और कार्यकर्ताओं ने भी बेहद प्रयास किया था।
हिंदी को जनमानस की भाषा भी कहा जाता है क्युकी भारत में हिंदी ही वो भासा है जो लोगो को जोड़ने का काम करती है ।

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