• सेंट्रल विस्टा राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को कहते हैं, राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाका इसके अंतर्गत आता है।
• सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, सांसद ,नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक उपराष्ट्रपति का घर आता है इसके अलावा नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइत्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, उद्योग भवन, बीकानेर हाउस ,हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन और जवाहर भवन भी सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा है। सेंट्रल विस्टा रिडिवेलपमेंट केंद्र सरकार के इस पूरे इलाके को रिनोवेट करने की योजना को कहा जाता है इस परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी।
*सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की महत्वपूर्ण विशेषताएं*--
इसका मुख्य आकर्षण तिकोने आकार का नया संसद भवन होगा जो 64500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा। संसद की नई इमारत मौजूदा संसद भवन से काफी बड़ी होगी जहां एक साथ 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।
लोकसभा सदन में 888 सांसदों की क्षमता होगी जबकि राज्यसभा में 384 सांसदों की जगह होगी यह व्यवस्था भविष्य में सांसदों की संभावित संख्या के मद्देनजर की जा रही है इस नई इमारत में सभी सांसदों को अलग से अपना दप्तर भी मिलेगा। सांसद की नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टिट्यूशन हॉल भी होगा जिसमें संविधान की मूल कॉपी रखी जाएगी यहां विजिटर गैलरी भी होगी जिसमें भारत के लोकतंत्र की विरासत को डिजिटल डिस्पले करने का इंतजाम रहेगा।
सांसद की नई इमारत में अत्याधुनिक डिजिटल इंटरफ़ेस की व्यवस्था होगी ताकि यह पेपरलेस दप्तर की तरह काम कर सके।
*सेंट्रल विस्टा क्यों है जरूरी*--
कोरोना महामारी में जहां पूरा देश मुकाबला करता नजर आया कहीं ऑक्सीजन के लिए संघर्ष करते लोग, मरीजों को अस्पताल में दाखिल कराने के लिए भागते दौड़ते परिजन, वैक्सीन के लिए लाइन में लगे बूढ़े और जवान और श्मशान में डेड बॉडी चलाने के इंतजार में बैठी भीड़ जानती है कि देश में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए शासन और प्रशासन ने क्या किया है? जाहिर है कि चाहे शासन स्तर प्रशासन या विपक्ष में बैठे लोगों ने जो भी किया है वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है ऐसे समय में जब 20000 करोड़ रुपए खर्च करके सेंट्रल विस्टा परियोजना को पूरा करने की बात होती है तो आम आदमी को तकलीफ तो होगी ही, आज देश में इस कारण ही कुछ लोग सेंट्रल विस्टा के विरोध में है वही दूसरी तरफ कुछ लोग इसके पक्ष में भी खड़े है।
*ऐसी परियोजनाओं से बहुत से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार और बिजनेस जीवित रह सकेंगे*
• पर प्रश्न यह है कि ऐसी महामारी की वजह से लॉकडाउन 2 या 4 महीने के लिए लगाया जा सकता है, फिर उसके बाद क्या? देश में रोजगार का क्या होगा? क्योंकि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी होता है की फैक्ट्रियां चलती रहे, कंस्ट्रक्शन होता रहे, व्यापार चलता रहे लॉकडाउन की स्थिति में भी इस तरह के जितने भी काम चलते रहेंगे उससे इकोनॉमी को सांस मिलती रहेगी। अगर इकोनामी एक बार बैठ गई तो फिर उसे उठाने में बहुत समय लग जाएगा। हमारे देश में आज भी 80 करोड लोग ऐसे हैं जो रोज कमाते हैं तो रोज उन्हें खाने को मिलता है। इसलिए जरूरी है कि देश में सेंट्रल विस्टा जैसी दर्जनों परियोजनाओं पर काम होना चाहिए और लगातार काम होना चाहिए,क्योंकि अगर हम बीमारी से बच भी गए तो फिर बेरोजगारी और अवसाद के चलते होने वाली भुखमरी के शिकार न बन जाए।
•देश और दुनिया का इतिहास गवाह है कि जब-जब अकाल पड़ा है राजाओं ने बड़े महलों का निर्माण कार्य केवल इसीलिए शुरू किया कि वास्तविक गरीब लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब हो, राज्य की आर्थिक गतिविधियों को गति मिल सके और व्यापार आदि का कार्य भी चलता रहे।
•कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि सेंट्रल विस्टा पर खर्च हो रहे पैसों से हॉस्पिटल्स का निर्माण होना चाहिए, यह सही है कि हॉस्पिटल का निर्माण महामारी के समय सबसे जरूरी है पर अस्पताल बनाने के लिए डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भी जरूरत होती है, दिल्ली मुंबई में करोड़ों की लागत से बनी अस्पतालों की बिल्डिंग खाली है या जितनी व्यवस्था होनी चाहिए वह नहीं है, दरअसल अस्पताल के लिए डॉक्टर और हेल्थ केयर वाली मशीनों के लिए टेक्नीशियन की जरूरत होती है तो यहां यह कहना उचित होगा कि सरकार को खाली पदों की हायरिंग करके उन बंद अस्पतालों को खोल देनी चाहिए।
*कामन सेंट्रल सेक्रेट्रीएट भी बनेगा*
शहरी विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय सचिवालय के सभी 70 हजार से अधिक कर्मचारियों के लिए कामन सेंट्रल सेक्रेट्रीएट बनेगा। मंत्रालयों के सभी विभाग एक साथ बनेंगे ताकि कामकाज में सहूलियत हो। बताया गया फिलहाल कुछ ऐसे भी मंत्रालय हैं, जिनके विभाग 47 अलग-अलग जगहों पर हैं। मंत्रालयों की बनी इमारतों को हटाकर नये सिरे से निर्माण कराने की योजना है। जाहिर है कि संसद भवन के आसपास बने अलग अलग मंत्रालय के भवनों को हटाकर इसके लिए जगह बनानी होगी।
लेकिन नार्थ ब्लॉक, साऊथ ब्लॉक और संसद भवन को हेरिटेज इमारत घोषित कर संरक्षित किया जाएगा। ये इमारतें पुरानी होने के साथ हेरिटेज की श्रेणी में हैं। लेकिन यहां मंत्रालय नहीं रखे जा सकते हैं। बताया गया कि ये इमारतें भूकंप रोधी तक नहीं हैं, जिसे असुरक्षित की श्रेणी में रखा गया है।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि फिलहाल केंद्रीय मंत्रालय अपने विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के बैठने के लिए प्राइवेट बिल्डिंग किराये पर लेते हैं, जिस पर हर साल 1000 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है।
*सेंट्रल विस्टा एक अहम और आवश्यक राष्ट्रीय परियोजना है', हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ठोका जुर्माना*
कोरोना काल में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि निर्माण कार्य को नहीं रोका जा सकता है,इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कोरोना वारयस वैश्विक महामारी के दौरान परियोजना रोके जाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिका किसी मकसद से ‘‘प्रेरित’’ थी और ‘‘वास्तविक जनहित याचिका’’ नहीं थी।
9 Comments
Thank you, for this Very useful information.
ReplyDeleteThis was much needed,Well done team "एकतंत्र"
ReplyDeleteKeep going❤️.
Very nicely decribed.
ReplyDeleteAwesome ❤️❤️
ReplyDeleteA perfect description by A perfect team 👏
ReplyDeleteGood initiative...... Keep working...... We are always there for uhh
ReplyDeleteWaah👏👏
ReplyDeleteInformative
ReplyDeleteVery well done
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