महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग द्वारा विश्व युवा कौशल दिवस २०२२ के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसका विषय ‘ री इमैजिनिंग टी.वी.इ.टी. एंड ट्रांसफार्मिंग यूथ स्कील इन इंडिया’ था| कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती बंदना से हुयी| तत्पश्चात अतिथियों का औपचारिक स्वागत एव परिचय कार्यक्रम के समन्वयक विभाग के सह आचार्य डॉ मुकेश कुमार के द्वारा किया गया |
कार्यक्रम के अगली कड़ी में आशीर्वाद वचन के रूप में महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति आचार्य आनंद प्रकाश का उद्बोधन प्राप्त हुआ| उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 ने कौशल विकास पर विशेष जोर दिया है यह कार्यक्रम निश्चित रूप से विश्वविद्यालय परिवार का मार्गदर्शन करेगा तथा निकट भविष्य में कौशल विकास के लिए एक रोडमैप तैयार कर कार्य करेंगे| कार्यक्रम के अगली कड़ी में कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन शिक्षा संकाय , शैक्षिक अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष एव संकायाध्यक्ष आचार्य आशीष श्रीवास्तव द्वारा किया गया | उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि टी.वी.इ.टी सतत विकास के 17 उद्देश्यों के प्राप्ति में सहायक है , इसके क्रियान्वयन से देश में आमूल चूल परिवर्तन लाया जा सकता है | आगे वे कहते है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है| तत्पश्चात कार्यक्रम के संयोजक सचिव विभाग की शोध छात्रा सुप्रभा डे के द्वारा विषय परिचयात्मक प्रस्तुति की गयी जिसमे उन्होंने बताया कि कैसे रविन्द्र नाथ टैगोर और महात्मा गाँधी के बुनियादी शिक्षा के द्वारा टी.वी.इ.टी के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते है तथा उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि वर्तमान समय में टी.वी.इ.टी क्यों प्रासंगिक है |
कार्यक्रम के अगले पायदान पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य विनय स्वरूप मेहरोत्रा ( ज्वाइंट डायरेक्टर पी. एस. एम.सी. आई. वी. ई. ) का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ | उन्होंने कहा कि यह वह दौर है जब हमे उद्यमशीलता पर जोर देना होगा, क्योकि जरुरी नही है कि प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी मिल ही जाए| आगे वे कहते है कि विद्यार्थियों का कौशल विकास प्रारम्भिक शिक्षा से ही कर देना चाहिए , जिसकी बात महात्मा गाँधी बुनियादी शिक्षा में करते है , इसके द्वारा की बालक मस्तिष्क, ह्रदय, हाथ तीनो का समन्वित विकास होता है | उनके द्वारा विनोवा भावे के योग , उद्योग, सहयोग के विचारो पर भी प्रकाश डाला गया| तत्पश्चात कार्यक्रम के अगली कड़ी में कार्यक्रम की दूसरी मुख्य वक्ता डॉ माधुरी दुबे ( नेशनल स्किल नेटवर्क) का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ | 21 वी सदी के कौशलो पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि बुनियादी कौशलों के साथ ही साथ तकनीकी कौशल समय की मांग है | आगे वे कहती है कि स्थानीयं शिल्प के बारे में हमे युवाओं को परचित कराना चाहिए और हमे उसी शिल्प में कौशल देना चाहिए , उदहारण स्वरूप उन्होंने बताया कि चंपारण जनपद में मेहसी में बटन बनता है जो पुरे भारत में जाता है | कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन विभाग के सहायक आचार्य डॉ पाथलोथ ओमकार एव संचालन शोध छात्र आस्तिक मिश्र के द्वारा किया गया | इस मौके पर विश्विद्यालय परिवार के आचार्य गण एव विभाग की सहायक आचार्य डॉ रश्मि श्रीवास्तव , सहायक आचार्य डॉ मनीषा रानी एव पुरे देश से लगभग २५० शोध छात्र उपस्थित थे | विभाग के शोधार्थी अंगद सिंह, मनीष ,रंजय पटेल, इन्दुबाला, सुनील दुबे, प्रसेनजित, नबानी बर्मन, कनाई , प्रणब, सुजोय, रितु सिंह , सविता , रितु सुंडी, सविता ,अलोकिता विशाल, गणेश शुक्ल आदि सभी शोधार्थी विद्यार्थी आभासी मंच पर उपस्थित थे।
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