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जातीय संघर्ष और उसके दुष्परिणाम

 
जाती और जातिवाद एक ऐसी बीमारी है जिसने पूरे देश को अपने चपेटे में ले रखा है ।जातीय ऊंच-नीच, भेदभाव व संकीर्णता से अनेक तत्वों, विरोधों व संघर्षों को जन्म दिया है और आज भारत हजारों जातियों में बटा है और हर जाति अपने आप को बड़ा साबित करने की होड़ में है । जो देश की एकता में बाधा बन रही है । 
जातीय संघर्ष
एक जाति की उपजातियों में अथवा विभिन्न जातियों के विरोध तनाव व संघर्ष को जातीय संघर्ष कहा जाता है। और ये जातीय संघर्ष भारत ही नहीं बल्की अंतर्राष्ट्रीय शान्ति के लिए एक बड़ा खतरा है 
बिहार और जातीय संघर्ष : 
बिहार में जातीय संघर्ष का इतिहास काफी पुराना है ,जिसकी चर्चा आज भी चुनाओ में सुनाई देती है ।

1. लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार: 1 दिसंबर 1997 की रात जहानाबाद जिले के लिए एक काली रात थी,जब बिहार के सबसे बड़े नरसंहार को अंजाम दिया गया जिसने पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया था। यहां सो रहे 61 लोगों को  बड़े ही बेरहमी तरीके से मौत के घाट उतार दिया गया था। 

2. बेलछी नरसंहार: पटना के पास बेलछी गांव में  1977  में 14 दलितों की हत्‍या कर दी थी. जिसे बिहार की सबसे पहला चर्चित नरसंहार माना जाता है ।
3. दंवार बिहटा : यह घटना है 1978 के बिहार के भोजपुर जिले के दंवार बिहटा गांव की जहां ऊंची जाति के लोगों ने 22 दलितों के निर्माता के साथ हत्या कर दी थी।

4. देलेलचक : 1987 का सबसे बड़ा नरसंहार जब औरंगाबाद के देलेलचक भगौरा गदेलेलचक में पिछड़ी जाति के दबंगों ने कमजोर तबके के 52 मासूमों को एक साथ हमेशा के लिए सुला दिया ।

5. मियांपुर नरसंहारः औरंगाबाद जिले के मियांपुर गांव में 16 जून 2000 को 35 दलितों की सामूहिक हत्‍या ने एक बार फ‍िर पूरे बिहार का झकझोर दिया. इसे जातीय संघर्ष की आखिरी बड़ी घटना माना जाता था क्‍योंकि मियांपुर नरसंहार की घटना के बाद कई सालों तक बिहार में कोई बड़ी घटना नहीं हुई ।

अगर इस जातीय संघर्ष के कारणों की बात करे तो  उनमें से एक है राजनीति, राजनिति वो गंदा कीचड़ जहां नेता अपने सत्ता सुख के लिए किसी हद तक गिरने को तैयार होते हैं, ओर जातीय संघर्ष को बढ़ाने के लिए अलग अलग हथकंडे अपनाते रहते है।

जातीय संघर्ष के दुष्परिणाम :

जन धन की हानि 
अक्सर यह देखा जाता है की जब भी कोई दंगा होता, हजोरो की संपतिया बर्बाद हो जाति है, घर, गाड़ी, दुकान , थाना जो कुछ भी रास्ते में दिखे उसे जला दिया जाता है । सरकारी वस्तुओ को बर्बाद किया जाता है ।

तनाव व संघर्ष कटुता  
जातीय संगर्ष के कारण समाज में एकता, शान्ति, सहयोग व सामंजस्य की कमी हो जाति है । एक जाती का दूसरे जाति के प्रति प्रेम सद्भावना खत्म हो जाति है ।


By: Prabha Dwivedi 

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