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किसी भी देश के विकास का पैमाना है उसकी उन्नत तकनीक: प्रो दुर्ग सिंह चौहान


एस० एम० एस० में शुरू हुआ सात दिवसीय एफ० डी०पी०

"फैकल्टी प्रेपयर्डनेस टुवर्ड्स एजुकेशन 4.0" विषय पर बोले विद्वान वक्ता


वाराणसी, 16 अगस्त: स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेज, वाराणसी में सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत हुईI कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुईI इस सात दिवसीय एफ० डी० पी० का मुख्य विषय "फैकल्टी प्रेपयर्डनेस टुवर्ड्स एजुकेशन 4.0" हैI  कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित प्रो० दुर्ग सिंह चौहान, पूर्व संस्थापक कुलपति, ए०के०टी०यू० ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की अवधारणा पर जोर देते हुए कहा कि इस नयी तकनीक का मुख्य उद्देश्य पूर्वानुमान के लिए हैI विकसित देशों की चारित्रिक गुणवत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई देश कितना विकसित है यह उसके पूर्वानुमान कर सकने की क्षमता पर निर्भर करता हैI  उन्होंने कहा कि आज जरूरत अधिक परिष्कृत तरीके से डेटा एकत्र करने और उससे जानकारी प्राप्त करने की है। ए० आई० द्वारा मानवीय संभावनाओं की उपयोगिता कम होने की धारणा को खारिज करते हुए प्रो० सिंह ने कहा कि ए० आई० को संचालित करने के लिए भी मानवीय सहायता की जरूरत पड़ती है और पड़ेगी, यह खुद से संचालित नहीं हो सकताI हांलाकि उन्होंने ए० आई० द्वारा हमेशा सही डेटा देने संबंधी धारणा को भी नकारते हुए कहा कि इस तकनीक की भी अपनी सीमा है, इस संबंध में उन्होंने ए० आई०  में समानांतर प्रसंस्करण के महत्व के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने वर्चुअल शिक्षा पद्धति की सफलता पर भी अपने विचार रखेI 
इससे पहले अतिथि का स्वागत करते हुए एस०एम० एस०, वाराणसी के निदेशक प्रो० पी० एन० झा ने एफ० डी० पी० के महत्त्व की चर्चा की और कहा कि एजुकेशन का नवीन संस्करण 4.0  इंडस्ट्री 4.0 की तरह ही लचीली हुए समकालिक संभावनाओं से परिपूर्ण हैI उन्होंने बताया कि आज की पीढ़ी को "जेनेरेशन ज़ेड" कहा जाता है जिसमें अपने पूर्ववर्ती पीढ़ियों से ज्यादा समझ व ग्राह्यता क्षमता हैI इसीलिये एजुकेशन 4.0 नया और समकालिक संस्करण होने के साथ-साथ ज्यादा संभावनाओँ से भरा हैI

कार्यक्रम के प्रथम तकनीकी सत्र में "आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से परिचय" विषय को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव, आई० आई० टी०, बी० एच० यू० ने कहा कि एआई का अंतिम लक्ष्य ऐसे उपकरणों का निर्माण करना है जो बुद्धिमानी से और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें और मानव श्रम और मैनुअल काम को कम कर सकें। सिरी, एलेक्सा, टेस्ला कार और डिजिटल एप्लिकेशन जैसे नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन एआई प्रौद्योगिकियों के कुछ बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि आज व्यापार, शिक्षा, बैंकिंग, कृषि, स्वायत्त वाहन जैसे क्षेत्रों में एआई की मांग बढ़ी हैI
कार्यक्रम का संचालन डॉ पल्लवी पाठक व धन्यवाद ज्ञापन प्रो० संदीप सिंह ने कियाI इस अवसर पर एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी डॉ एम० पी० सिंह, निदेशक प्रो० पी० एन० झा, डॉ अमिताभ पाण्डेय, प्रो आर० के० सिंह, प्रोफ़ेसर अविनाश चंद्र सुपकर, डॉ० पूर्णेन्दु पात्रा सहित सभी शिक्षक व कर्मचारी मौजूद रहेI

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