14/8/2023
मोतिहारी ।
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के तत्वावधान में "विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने की। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारतवर्ष का गौरवशाली इतिहास सभी को प्रेरित करता मानवीय इतिहास है। विभाजन का दंश झेलकर भी भारतीय लोग द्विराष्ट्र (Two Nation Theory) को अस्वीकार कर पुनः अखंड भारत बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अपने इतिहास के प्रेरक सूत्रों को याद रखने का दायित्व युवा पीढ़ी का है। अतीत से सीखकर हम उन गलतियों से सबक लें और देश को मजबूत बनाने का प्रयास करें।
मुख्य अतिथि राणा रणधीर सिंह( सामाजिक विचारक) ने अपने वक्तव्य में समाज, इतिहास और राष्ट्र निर्माण के आलोक में वर्तमान की सम्यक समीक्षा की।
उपस्थिति लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि
"कोई भी समाज तभी तक जिंदा रहता है जब तक वह अपने इतिहास को याद रखता है। भारत का विभाजन क्षेत्रीय सीमाओं का नहीं बल्कि मानवीयता एवं सभ्यता का हुआ है। युवा पीढ़ी सही इतिहास का अध्ययन करे और हम भारतीय अपना इतिहास खुद लिखें। स्वयं अपना नायक बनें।
मुख्य वक्ता प्रो.राकेश उपाध्याय (भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली) ने कहा कि राजनीति सीधी रेखा में नहीं चलती है। भारतीय भारतीय राजनीति "सर्व समन्वय" की राजनीति है।
भारत के विरुद्ध जो षड्यंत्र अंग्रेजों ने किए उन बुनियादी षडयंत्र के बीज आज भी उपस्थित हैं लेकिन फिर भी अपनी प्रकृति के अनुसार भारत एक है। क्योंकि भारतीय धारा समन्वय की धारा है। हम सबके लिए मानसिक गुलामी से मुक्ति आवश्यक है। हमें समन्वय, सहिष्णुता के साथ भारत के भविष्य को गढ़ना है।
विशिष्ट वक्ता डॉ. हर्षवर्धन सिंह ( राष्ट्रीय सचिव, भारतीय इतिहास संकलन योजना) विभाजन विभीषिका के दंश को महसूस करने वाली पीढ़ी समाप्त हो रही है।
वर्षों तक संघर्षरत भारतवर्ष के इतिहास का प्रत्येक दिन शोध का दिन है। आज हमें स्वबोध प्राप्त करने की आवश्यकता है लेकिन अपने अतीत को भी याद रखना है।
अखंड भारत के निर्माण में आहुति देने वाली कुर्बानियों को याद रखने की आवश्यकता है। ये बलिदान हमें प्रेरित करते हैं।
इस विषय पर जनसम्पर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा द्वारा बनायी गयी एक डॉक्युमेंटरी का भी प्रसारण किया गया।
कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य कार्यक्रम के संयोजक प्रो. विकास पारीक( विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी) एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ.श्याम नंदन( हिंदी विभाग) ने किया। कार्यक्रम का ओजस्वी संचालन डॉ. अभिजीत( रसायन विभाग) ने किया।
कार्यक्रम में प्रो. प्रसूनदत्त सिंह, प्रो पवनेश, प्रो. आर्तत्राण पाल, डाॅ. बब्लू पाल, डाॅ. गोविन्द प्रसाद वर्मा, डाॅ. आशा मीणा, डाॅ. दुर्गेश्वर, डाॅ. पंकज सिंह,प्रो. डाॅ. सरिता तिवारी,प्रो. सहाना मजूमदार, डाॅ. प्रीति वाजपेयी आदि सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे
0 Comments