IIT, IAS या ISRO हो बिहार अपना योगदान देने में हर जगह आगे ही रहता
है । और तमाम परेशनाइयो के बावजूद बिहार के होनहार
युवा अपने राज्य का नाम रोशन करने में कभी पीछे नहीं रहते।
हाल ही में चंद्रमा पर
सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 की
सफल लैंडिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश का हर नागरिक एक-दूसरे को
बधाई दे रहे थे .
ISRO की इस ऐतिहासिक
सफलता का जश्न बिहार के गया शहर निवासी सुधांशु कुमार के घर पर भी मनाया गया.
सुधांशु के परिवार समेत पूरे गांव ने तिरंगे झंडे लहराते हुए पटाखे फोड़े. आपको बता
दे सुधांशु हाल ही में इसरो में वैज्ञानिक नियुक्त हुए हैं। वे इसरो के श्री
हरिकोटा केंद्र में तैनात हैं और ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान-3 का महत्वपूर्ण हिस्सा
हैं। सुधांशु इसरो की प्रक्षेपण यान टीम का हिस्सा हैं।
कोन है सुधांशु के पिता?
सुधांशु के पिता महेंद्र प्रसाद किसान हैं और अपने
परिवार के पालन पोषण के लिए वह घर में ही आटा
चक्की चलाते हैं और माता बिंदु देवी ग्रहणी है। टीवी पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट
लैंडिंग देखकर सुधांशु के पिता महेंद्र प्रसाद गदगद हो गए. सुधांशु के पिता कहते
हैं कि मेरे बेटे ने मिशन चंद्रयान-3 का हिस्सा बनकर हमें गर्व से भर दिया है.
मुझे गर्व है कि मेरा बेटा इसरो का वैज्ञानिक बना है.’ मैं ईश्वर से प्रार्थना
करता हूं कि मेरा बेटा इसी तरह अपने देश का नाम रोशन करता रहे।
सुधांशु कहते हैं कि चंद्रयान 03 के प्रक्षेपण के दौरान इसका हिस्सा बनना मेरे जीवन का एक यादगार पल होगा।चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर सुधांशु काफी रोमांचित और आशान्वित थे। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही सुधांशु ने इस ऐतिहासिक घटना के गवाह के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
सरकारी स्कूल से की पढ़ाई
गया शहर के इसरो वैज्ञानिक सुधांशु कुमार ने अपनी प्राथमिक शिक्षा खरखुरा इलाके के एक निजी स्कूल से प्राप्त की है । प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने सरकारी स्कूल प्लस 2 आरआर अशोक हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद सुधांशु ने बी-टेक की पढ़ाई हरियाणा से की.बी-टेक के बाद सुधांशु का चयन इसरो के लिए हुआ, जो आज वैज्ञानिक बनकर अपने माता-पिता के साथ देश का नाम रोशन कर रहे हैं.
0 Comments