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डॉ. मनमोहन सिंह : एक दूरदर्शी नेता का अभूतपूर्व योगदान

भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। 
उनका देहांत 26 दिसंबर 2026 को एम्स दिल्ली में हो गया । जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के विभिन्न राजनैतिक व सामाजिक हस्तियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से शोक व्यक्त किया । 

प्रधानमंत्री मोदी ने X पर एक पोस्ट के माध्यम से शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि "भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोकाकुल है। साधारण परिवार से उठकर वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर एक मजबूत छाप छोड़ी। संसद में उनका हस्तक्षेप भी व्यावहारिक था। हमारे प्रधान मंत्री के रूप में, उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।"

भारत के विकास और वृद्धि में उनका योगदान बहुआयामी और दूरगामी है। आइए जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में कुछ खास ।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

पंजाब के गाह गांव में 26 सितंबर, 1932 को जन्मे डॉ. सिंह की शैक्षणिक उत्कृष्टता और समर्पण ने उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और परास्नातक की डिग्री दिलाई। उन्होंने आगे की शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र में अपनी ट्राइपोज़ डिग्री पूरी की।


आर्थिक सुधार और उदारीकरण

1991 में वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह का कार्यकाल भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना करते हुए, उन्होंने व्यापक सुधार पेश किए, अर्थव्यवस्था को उदार बनाया और इसे विदेशी निवेश के लिए खोल दिया। इस साहसिक कदम ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और भारत के एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त किया।


मुख्य आर्थिक पहल

डॉ. सिंह द्वारा शुरू की गई कुछ उल्लेखनीय आर्थिक पहलों में शामिल हैं:

• लाइसेंस राज का उन्मूलन : डॉ. सिंह ने लाइसेंस और परमिट की जटिल प्रणाली को खत्म कर दिया, जिससे व्यवसायों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति मिली और उद्यमिता को बढ़ावा मिला।

• व्यापार उदारीकरण : उन्होंने आयात शुल्क और करों को कम किया, जिससे अन्य देशों के साथ व्यापार और वाणिज्य बढ़ा।

• विदेशी निवेश : डॉ. सिंह ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया, जिससे देश में पूंजी और प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण प्रवाह हुआ।


सामाजिक और स्वास्थ्य सेवा पहल

डॉ. सिंह की सरकार ने कई सामाजिक और स्वास्थ्य सेवा पहलों की शुरुआत की, जिनमें शामिल हैं:

• राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) : 2005 में शुरू किए गए NRHM का उद्देश्य ग्रामीण आबादी को सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना था।

• शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) : 2009 में शुरू किए गए RTE ने छह से चौदह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा को एक मौलिक अधिकार बना दिया।

• महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम : इस अधिनियम ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी प्रदान की।


विदेश नीति पहल

डॉ. सिंह की विदेश नीति पहलों ने प्रमुख विश्व शक्तियों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिनमें शामिल हैं:

• भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता : 2008 में हस्ताक्षरित, यह समझौता भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

• भारत-चीन संबंध : डॉ. सिंह की सरकार ने चीन के साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत किया, जिसके साथ 2007 में द्विपक्षीय व्यापार 36 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।

• भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी : 2006 में डॉ. सिंह की जापान यात्रा ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत की।


विरासत और प्रभाव

भारत के विकास और प्रगति में डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उनके आर्थिक सुधारों और उदारीकरण की नीतियों ने भारत को एक प्रमुख आर्थिक शक्ति में बदल दिया, जबकि उनकी सामाजिक और स्वास्थ्य सेवा पहलों ने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया। उनकी विदेश नीति की पहल ने वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत किया।

डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत भारत के विकास के प्रति उनकी दूरदर्शिता, नेतृत्व और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के भविष्य को आकार देता रहेगा।

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