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गांधी को चंपारण लाने वाले मनीषी पं.राजकुमार शुक्ल की जयंती पर संवाद श्रृंखला की शुरुआत

मोहनदास गांधी को महात्मा गांधी
बनाने वाले व्यक्तित्व थे पं.शुक्ल

- पं.शुक्ल थे चंपारण सत्याग्रह के सूत्रधार, किंतु चंपारण में ही भुला दिए गए उनके अवदान

मोतिहारी (पूच), । गांधीजी को चंपारण की व्यथा से परिचित कराकर उन्हें चंपारण ले आने वाले पं० राजकुमार शुक्ल की जयंती पर सोमवार को राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र मोतिहारी की ओर से राजकुमार शुक्ला संवाद शृंखला की शुरुआत की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नई दुनिया इंदौर के संपादकीय प्रभारी कौशल किशोर शुक्ला तथा मुख्य वक्ता सुषमा फिल्म्स के निदेशक डीके आजाद रहे| महात्मा गांधी केंद्रीय विवि के मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ.साकेत रमण का विशेष सान्निध्य प्राप्त हुआ।

वक्ताओं ने इस मौके पर तत्कालीन परिस्थितियों में चंपारण के किसानों की व्यथा दूर करने में उनके प्रयासों को रेखांकित करते हुए नई पीढ़ी को पं.शुक्ल के व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित कराने की जरूरत पर बल दिया। 

मुख्य वक्ता डीके आजाद ने कहा कि आजादी के संघर्ष में चंपारण का योगदान और चंपारण में पं० शुक्ल की भूमिका बहुत अहम रही। फिर भी इतिहास में उन्हें वह जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी। पंडित शुक्ल का अवदान और प्रयास इतिहास के पन्नों में दबकर रह गया।  एक संभ्रांत किसान अपना सब कुछ न्योछावर कर निलहों के खिलाफ आंदोलन में लग गया, इस प्रयास में उसने अपना सबकुछ गंवा दिया किंतु इसके बाद भी ना ही चंपारण में उनके नाम पर कुछ है ना स्मृतियों में और ना इतिहास में।
राजकुमार शुक्ल स्मृति संवाद श्रृंखला राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्र, मोतिहारी

राजकुमार शुक्ल स्मृति संवाद श्रृंखला उद्घाटन सत्र तिथि: 23 अगस्त 2021 समय: शाम 7:00 बजे फेसबुक लाइव प्रसारण लिंक- https://www.facebook.com/apkaharkara/ आयोजक राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्र, मोतिहारी

Posted by आपका हरकारा on Monday, August 23, 2021
डॉ.साकेत रमण ने अपने वक्तव्य में कहा कि जैसे बड़े पेड़ के नीचे आके छोटे वृक्ष उनकी छाया बन कर रह जाते हैं वैसे ही, शुक्ल महात्मा गांधी की छाया बन कर रह गए। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में स्पष्ट लिखा है कि लखनऊ कांग्रेस में जाने से पहले मैं चंपारण का नाम नहीं जानता था, नील के किसानों की दुर्दशा पूरी वास्तविकता नहीं जानता था। इससे उन्हें परिचित कराने वाले पं. शुक्ल ही थे। पं.शुक्ल जैसे समाज सुधारकों के प्रयासों को जनजन तक पहुंचाने के लिए लगातार शोध और अध्ययन की जरूरत होगी। 


वरिष्ठ पत्रकार कौशल किशोर शुक्ला ने पं० राजकुमार शुक्ल ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने चंपारण के किसानों की व्यथा दूर करने के लिए गांधी का चयन किया था। तीन कठिया प्रथा व कानून हटाने में गांधी की बड़ी भूमिका रही लेकिन हम इसे भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि गांधी के आने से 10 साल पहले से आंदोलन चल रहा था और पांच कटिया कानून को इस आंदोलन से पंडित शुक्ल ने तीन कठिया में बदल दिया था। यह विडंबना है कि इतने बड़े आंदोलन को आकार देने वाले पंडित शुक्ल की मृत्यु के समय उनका परिवार आर्थिक रूप से तबाह हो चुका था। चंपारण को समझना चाहिए कि पंडित शुक्ल को कहां रखा जाना चाहिए था| 

धन्यवाद ज्ञापन प्रमोद पाण्डेय ने दिया | संयोजक की भूमिका नवीन तिवारी ने निभाई और संचालन आशीष कुमार ने किया। कार्यक्रम का आयोजन आपका हरकारा, झारखंड मेल और एकतंत्र ने मिलकर किया था। 

इसका प्रसारण आपका हरकारा के आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी किया गया।

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