भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत ने 4 अगस्त बुधवार को अपना समुद्री परीक्षण शुरू कर दिया है। अरब सागर में यह पहला परीक्षण चार दिनों तक चलेगा। इसकी शुरुआत अधिकारियों और नाविकों सहित 1500 अधिकारियों के साथ हुई है।
इस जहाज का वजन 40,000 टन है और यह पहली बार समुद्री परीक्षण के लिए तैयार है। विमान वाहक पोत का निर्माण भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया गया है। यह परियोजना ₹24,000 करोड़ (लगभग $3.5 बिलीयन) की है,जिससे मूल रूप से 2018 में चालू करने के लिए लक्षित किया गया था और महामारी के कारण इसमें देरी हुई थी। अब यह अगस्त 2022 तक पूर्वी नौसेना कमान में शामिल होने के लिए तैयार है।
इसे 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले जहाज का नाम दिया गया है। और इसे स्वदेशी विमान वाहक 1 के रूप में भी जाना जाता है।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने बताया, "यह भारत के लिए गर्व और ऐतिहासिक दिन है क्योंकि 1971 के युद्ध में जीत में अहम भूमिका निभाने वाले शानदार आईएनएस विक्रांत के 50 साल में उसी के नाम वाला यह जहाज समुद्र में परीक्षण के लिए पहली बार रवाना हुआ।कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है जिसके पास विशिष्ट क्षमता वाला स्वदेशी निर्मित अत्याधुनिक विमानवाहक पोत है।
उन्होंने बताया कि या भारत में बना सबसे बड़ा और जटिल युद्धपोत है। उन्होंने कहा कि आप निर्भर भारत और मेक इन इंडिया के दौर में यह ऐतिहासिक क्षण है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विक्रांत के पहले समुद्री परीक्षण को आत्मनिर्भर भारत के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का सच्चा प्रमाण कहा। कोविड की परवाह किए बिना इस ऐतिहासिक मील के पत्थर का एहसास सभी हितकारों के सच्चे समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है, उन्होंने कहा।
By : Aastha Rani
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Great👏👏
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