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पं.राजकुमार शुक्ल अध्ययन व अनुसंधान केंद्र का शिक्षक दिवस पर विशेष आयोजन

- केंद्रीय विवि के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा.बिमलेश को मिला पहला आचार्य चाणक्य सम्मान ,बीपीएससी के सदस्य प्रो.अरुण भगत और मेरठ विवि के पत्रकारिता विभाग निदेशक ने दी शुभकामनाएं 

मोतिहारी।

पंडित राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र मोतिहारी(जेपीएन सी ई ट्रस्ट मुज. की स्वायत्त इकाई) द्वारा भारतीय आचार्य परंपरा एवं शिक्षक धर्म सह आचार्य चाणक्य सम्मान समारोह का आयोजन शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार लोक सेवा आयोग के माननीय सदस्य, प्रोफेसर अरुण कुमार भगत ने की | कार्यक्रम में आचार्य चाणक्य सम्मान से विभूषित अतिथि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष, डॉ. बिमलेश कुमार मौजूद रहे तथा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार मुख्य अतिथि रहे।

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. साकेत रमण ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सभी अतिथियों एवं दर्शकों का स्वागत अभिनंदन किया। डॉ. साकेत रमण ने अतिथियों का अभिवादन करते हुए कहा कि मीडिया एवं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े ऐसे ख्याति नाम हस्ताक्षरों को सुनना सौभाग्य की बात है |

केन्द्र के राष्ट्रीय संयोजक नवीन तिवारी ने राजकुमार शुक्ल जीवन परिचय देते हुए कहा कि पंडित शुक्ल के नाम पर केंद्र बनना ही स्वयं में बहुत बड़ी बात है। उद्बोधन के पश्चात राष्ट्रीय संयोजक ने डॉ. बिमलेश कुमार को प्रशस्ति पत्र देकर आचार्य चाणक्य सम्मान 2020-21 से सम्मानित किया |


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार लोक सेवा आयोग के माननीय सदस्य, प्रोफेसर अरुण कुमार भगत ने आचार्य को आचारवान बताते हुए कहा कि आचार्य वह है जिसका आचरण अनुकरणीय हो, जो समाज को मार्गदर्शित करे, जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए और जीवन संग्राम में उतरने की पूरी तैयारी करा सकें। प्रो. भगत ने भारतीय परंपरा में मातृ देवो भव:, पितृ देवो भव: व आचार्य देवो भव: के महत्व को बताते हुए कहा कि परमार्थ और व्यवहार का दर्शन कराता है आचार्य। उन्होंने आचार्य चाणक्य की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षक साधारण नही होता, प्रलय और निर्माण दोनो उसकी गोद मे खेलते है। शिक्षक धर्म पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्राध्यापक या शिक्षक का धर्म किसी पंथ या संप्रदाय से नहीं बल्कि कक्षा में हंसते हुए जाए और हंसाते हुए आए से है। अरूण भगत ने शिक्षक की तुलना माली से की तथा शिक्षा को सभ्य व सुसंस्कृत बनाने का जरिया बताया।

बतौर मुख्य अतिथि प्रो. प्रशांत कुमार ने अपने उद्बोधन के दौरान आचार्य तथा शिष्य की परंपरा को श्रेष्ठ बताया साथ ही विश्वामित्र, कृष्ण व गुरुकुल परंपरा की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि ब्रिटिशों ने भारतीय शिक्षा परंपरा को दूषित करने का प्रयास किया | उन्होंने वर्तमान मे यूपी सरकार द्वारा 75 शिक्षको को सम्मानित करने के फैसले की भी सराहना की। 

आचार्य चाणक्य सम्मान से विभूषित अतिथि डॉ. बिमलेश कुमार ने ‘आचार्य चाणक्य सम्मान’ मिलने पर राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्र के प्रति धन्यवाद प्रेषित किया व गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु , गुरुर देवो महेश्वरः , गुरुर साक्षात परम ब्रह्म , तस्मै श्री गुरुवे नमः पंक्ति के साथ शिक्षकों के महत्व को बताया। उनके अनुसार देश का निर्माण धन से नही बल्कि व्यक्ति और उसके चरित्र से होता है। उन्होंने मोतिहारी जिले की सराहना करते हुए कहा कि मोतिहारी किसी को खाली नहीं भेजता यह वही जगह है जिसने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बनाया।

कार्यक्रम का संचालन आस्था रानी व रौशनी कुमारी ने किया। अतिथि परिचय आयोजन सचिव आशीष कुमार ने दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव शशि रंजन मिश्रा ने किया। कार्यक्रम का प्रसारण 'आपका हरकारा' के आधिकारिक पेज के माध्यम से शाम 7 बजे से हुआ | कार्यक्रम के मीडिया पार्टनर्स 'द झारखंड मेल' एवं 'एकतंत्र' रहे |




By : Ankita Kumari

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