आजकल जहां देखो वहां बुलडोजर का ही मुद्दा छाया हुआ है । योगी आदित्यनाथ के यूपी से शुरू हुए इस कानूनी कार्यवाई के एक तरीके को अब धार्मिक कार्यवाई का रूप दिया दिया जा रहा है ।
जहांगीरपुरी में हुई कार्यवाई को भी धार्मिक मुद्दा बनाकर पेश किया गया । तो इसके जवाब में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना गुस्सा अलवर मंदिर पर निकाला । अब वो बात अलग है कि मुख्यमंत्री गहलोत और क्रूर शासक औरंगजेब के कृत्यों में अब कुछ ज्यादा फर्क नही दिखता ।
इस मामले की जांच के लिए बीजेपी का 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को अलवर पहुंचा । वहीं टूटे मंदिर के बाहर पूजा-पाठ शुरू हो गया है ।
इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। जहां विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मंदिर पर अशोक गहलोत सरकार ने बुलडोजर चलवाया है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि ये फैसला नगर पालिका बोर्ड का फैसला था। उसके चेयरमैन बीजेपी के हैं। लिहाजा बुलडोजर बीजेपी का था ।
शनिवार को बीजेपी सांसद सुमेधानंद, विधायक चंद्रकांता मेघवाल और नेता राजेंद्र सिंह शेखावत समेत भाजपा का 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राजगढ़ पहुंचा । बता दें कि ये टीम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी । अलवर के राजगढ़ में 20 अप्रैल को नगर प्रशासन ने विकास की आड़ में 300 साल पुराने मंदिर को ध्वस्त कर दिया। आखिर मुख्यमंत्री जी को हिंदू और उनकी आस्था से इतनी चिढ़ क्यों है? उल्लेखनीय कि राजगढ़ कस्बे में मास्टर प्लान के तहत मकानों और दुकानों को तोड़ने का कार्य किया जा रहा है। जिसके विरोध में शहरवासी प्रशासन के खिलाफ लामबंद हो गए है।
वहीं बीजेपी सांसद सुमेधानंद ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने औरंगजेब की तरह काम किया है । यहां पर दुकानें, मंदिर और घर तोड़े गए हैं । साथ ही कहा कि नगर पालिका बोर्ड से मंदिरों के विध्वंस की कोई भी मंजूरी नहीं मिली थी । हम मांग करते हैं कि मंदिरों को गिराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए ।
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