Ticker

6/recent/ticker-posts

कोयले की कमी से भारत में कैसे बढ़ा बिजली संकट ? ये है एक बेहतरीन विकल्प...


नेशनल ।

अप्रैल में शुरू हुई बिजली कटौती का सामना आज देश के लगभग राज्य कर रहे हैं । कारखानों से लेकर स्कूल - कॉलेजों में काम धीमा पड़ रहा है ।

एक सर्वे के अनुसार देश के तीन घरों में से दो घरों ने कहा कि उन्हें बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है ।

वहीं, तीन में से एक घर ने बताया कि हर दिन दो घंटे या उससे अधिक समय के लिए बिजली गुल रहती है ।



क्या हैं बिजली कटौती के मुख्य कारण ?

कोयले की कमी से राजधानी दिल्ली , हरियाणा समेत देश के कई राज्य लंबे समय से बिजली संकट का सामना कर रहे हैं ।

कोयले के उत्पादन और उपभोग में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है । जीवाश्म ईंधन की वजह से देश रौशन रहता है ।
भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है और बिजली उत्पादन के तीन चौथाई हिस्से में कोयले का ही इस्तेमाल होता है ।

भारत अपनी खपत के एक चौथाई से थोड़ा कम आयात करता है जो ज्यादातर कोकिंग कोयला है ।

इस कोयले का इस्तेमाल स्टील बनाने के लिए ब्लास्ट फर्नेस में किया जाता है । ये घरेलू स्तर पर उपलब्ध नहीं होता है और अभी इसकी भी कमी चल रही है ।


भारत की ऊर्जा सुरक्षा नीति


भारत ने परंपरागत रूप से कोयले का आयात करके आपूर्ति को मजबूत किया है ।

सरकार का कहना है कि वह आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वह सब कर रही है जो वह कर सकती है ।

कोयला मंत्रालय के अनुसार कोल इंडिया ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करते हुए उत्पादन में 12 प्रतिशत की वृद्धि की है ।

कोल इंडिया ने अप्रैल माह में बिजली उत्पादक कंपनियों को 49.7 मिलियन मीट्रिक टन कोयला भी भेजा है, जो पिछले साल अप्रैल महीने की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है ।

वहीं भारतीय रेलवे ने ईंधन की कमी से जूझ रहे संयंत्रों तक ज्यादा कोयला पहुंचाने के लिए एक हजार से अधिक ट्रेनों को भी रद्द किया है ।


कोयला कमी से जूझते बिजली संयंत्र


कोयल केंद्रीय और राज्य सरकारों के लिए अच्छे खासे राजस्व का स्रोत है । लेकिन भारत में कोयला और बिजली के बीच खराब संबंध इस मामले में मदद नहीं करता ।


भारत के बिजली संयंत्र कई चैनलों के माध्यम से कोयले की खरीद करते हैं जिसमें उसकी कीमत काफी अहम होती है ।

एक ही जगह पर एक ही कोयले की कीमत सभी संयंत्रों के लिए अलग अलग हो सकती है । ये इस बात पर निर्भर करता है कि संयंत्र प्राइवेट है या सरकारी ।


बेहतरीन विकल्प : रिन्यूएबल एनर्जी



भारतीय रेलवे यात्री किराए को कम रखने के लिए कोयले की ढुलाई पर ज्यादा शुल्क लेते हैं ।

कई खराबियां जो कोयले के इको सिस्टम में विजेता या किसी को हराती हैं वो परिवर्तन को मुश्किल बना देती हैं ।

भारत ने कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को 450 गीगावाट तक बढ़ाने का वादा किया है।

लेकिन रिन्यूएबल एनर्जी का बढ़ना कोयले के बढ़ने को रोकने के लिए काफी नहीं है।

भारतीय कोयले में राख की मात्रा करीब 35 प्रतिशत है जो काफी अधिक है । जिसके चलते ये इसे काफी प्रदूषित बनाता है ।

Post a Comment

0 Comments