रांची(RANCHI): झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय यानि कि CUJ. जब 2009 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऐक्ट के तहत देश के हर राज्य में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोलने का बिल पास हुआ. तब बड़ी उम्मीद के साथ झारखंड में CUJ की स्थापना हुई. मगर, आज ये विश्वविद्यालय अपनी बेहतर शिक्षा के लिए नहीं, बल्कि मनमाने ढंग से फीस वसूली के कारण चर्चा में है. इसे लेकर आज छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा और वे सभी आंदोलन पर उतर गए. CUJ के छात्र यूनिवर्सिटी की प्रशासनिक भवन के बाहर धरने पर बैठ गए.
यहां से शुरू हुआ मामला
दरअसल, मामला ये है कि रांची स्थित CUJ के दो कैंपस हैं. एक ब्राम्बे में स्थित है और एक चेरी मनातू में. ब्राम्बे में कैंपस 2009 से ही संचालित हो रहा है. मगर, यह अस्थायी कैंपस है. स्थायी कैंपस के तौर पर चेरी मनातू में बड़े से कैंपस का निर्माण हुआ है. जिसका अभी भी पूरी तरह से निर्माण नहीं हो सका है. अब पेंच ये है कि पढ़ाई तो चेरी मनातू वाले स्थायी कैंपस में होती है. लेकिन इस कैंपस में छात्रों को हॉस्टल की सुविधा नहीं दी गई है. इसके चलते सभी हॉस्टलर ब्राम्बे कैंपस के हॉस्टल में रहते हैं. यूनिवर्सिटी की ओर से सभी छात्र-छात्राओं को ब्राम्बे से चेरी मनातू कैंपस लाने और ले जाने के लिए बस की सुविधा दी गई है. अब इसी बस सुविधा के लिए यूनिवर्सिटी किराया मांग रही है. इससे छात्र नाराज हैं.
छात्रों का क्या आरोप है
छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी अगर उन्हें स्थायी कैंपस में हॉस्टल मुहैया करा देती तो वे ब्राम्बे में क्यों रहते. वे वहां यूनिवर्सिटी के कारण ही रहते हैं. ऐसे में ये यूनिवर्सिटी का दायित्व है कि वह छात्रों को लाने और आवागमन की सुविधा मुहैया कराए. इसके बदले में उन्हें छात्रों से किराया लेना जायज नहीं है. ऐसे में हम छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है. छात्रों ने बताया कि पहले आम छात्रों के लिए बस का किराया 3700 से 4000 के बीच था. मगर, ये किराया अब बढ़ाकर 6000 रुपए कर दिया गया है. वहीं हॉस्टलर से भी 3000 रुपए किराया मांगा जा रहा है. ये किराया प्रति सेमेस्टर छात्रों को जमा करना पड़ता है.
इसके साथ ही छात्रों ने कहा कि सेमेस्टर फीस में भी काफी वृद्धि की जा रही है. पहले जिस विभाग में जहां प्रति सेमेस्टर 6000 से 7000 रुपए के करीब फीस ली जाती थी. उसे बढ़ाकर सीधे 13000 से 15000 किया जा रहा है.
फीस के अलावा छात्रों ने एक और परेशानी गिनाई. उनका कहना था कि ब्राम्बे कैंपस से बस सुबह 8:20 में खुलती है. जबकि हॉस्टल का मेस सुबह 8 बजे से शुरू होता है. ऐसे में उन्हें बिना नाश्ता किए ही क्लास करने जाना पड़ता है. वहीं लंच का समय दोपहर 1 से 2 के बीच होता है. मगर, ये छात्र शाम 4 बजे वापस कैंपस आते हैं. इससे उन्हें ना तो नाश्ता मिलता है और ना ही दोपहर का खाना. जबकि उनसे हर सेमेस्टर मेस फीस ली जाती है. इसके अलावा इन जैसे छात्रों के लिए चेरी मनातू कैंपस में एक कैन्टीन की भी व्यवस्था नहीं है. छात्रों की मांग है कि फीस में बढ़ोतरी रोका जाए और हॉस्टलर से बस किराया ना लें. अगर, यूनिवर्सिटी को इसमें ज्यादा खर्च आ रहा है तो पर्मानेंट कैंपस में ही हॉस्टल की सुविधा दे.
अधिकारी को कुछ पता ही नहीं
छात्रों के आरोप के बाद हमने विश्वविद्यालय के जन संपर्क अधिकारी नरेंद्र कुमार से बात करने की कोशिश की. जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है. इनके इस बयान पर भी संदेह होता है क्योंकि ये जिस भवन में बैठते हैं, उसी के बाहर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, बिल्डिंग के गेट पर ताला लगा हुआ है और इन्हें कुछ भी पता ही नहीं है. खैर, छात्रों ने बताया कि उनके इस धरने के बाद भी कोई अधिकारी उनसे मिलने नहीं आए. ऐसे में विश्वविद्यालय के रवैये का अंदाजा लगाया जा सकता है.
0 Comments