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"लैंगिक भेदभाव और हिंसा को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए" - एसपी डॉ. कुमार आशीष


"विश्वविद्यालय हमेशा लैंगिक भेदभाव पर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है" - प्रोफेसर आनंद प्रकाश


मोतिहारी। 

आंतरिक शिकायत समिति, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा "कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम पखवाड़ा" का आयोजन किया गया। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इसके उल्लंघन के निहितार्थ और आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को सार्थक कदम उठाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में पूर्वी चंपारण के पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष ने एमजीसीयू में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहां कि शिकायत का दर्ज़ ना होना 'राम राज्य' नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि  ऐसी शिकायतें दर्ज करने की बात आने पर महिलाएं अक्सर डरती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह आवश्यक है कि कार्यस्थल पर भेदभाव को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और नियोक्ता या किसी अन्य सहकर्मी द्वारा कर्मचारियों के अधिकारों का कभी उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
यह विशेष व्याख्यान उन कार्यक्रमों का एक हिस्सा था जो 
25 नवंबर से 10 दिसंबर 2022 तक विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति द्वारा “कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम पखवाड़ा" के आलोक में मनाया जा रहा है।
 एमजीसीयू के कुलपति प्रोफेसर आनंद प्रकाश ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि विश्वविद्यालय की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी न केवल अपने छात्रों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के बीच बल्कि अपने संस्थान के बाहर जनता के बीच भी जागरूकता बढ़ाना है।  विश्वविद्यालय को समाज को जगाने का काम भी करना चाहिए।  उन्होंने लैंगिक समानता सुनिश्चित करने वाले लगातार कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आईसीसी को बधाई दी।
आईसीसी की संयोजक प्रो शाहाना मजूमदार ने इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया।  उन्होंने कहा कि कैंपस का स्वस्थ वातावरण ही वह मुख्य मूल्य है जो इस समिति की कार्रवाई का मार्गदर्शन करता है।
डॉ. सपना सुगंधा, सदस्य, आईसीसी ने सभी सम्मानित अतिथियों, प्रशासनिक कर्मचारियों और छात्रों को धन्यवाद दिया।
अन्य लोगों में डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. कलातरना पाल, प्रॉक्टर प्रो. प्रणवीर सिंह, डॉ. प्रीति वाजपेयी, सदस्य, आईसीसी, और जनसंपर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा उपस्थित थीं।

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