मुख्यमंत्री श्री कुशासन कुमार जी ने जिन अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया वह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. यह शब्द मेरे नहीं बल्कि बिहार विधान परिषद के नेता सम्राट चौधरी का है।
दरअसल मुख्य्मंत्री नीतीश कुमार इन दिनों बिहार में 'समाधान' यात्रा कर रहे हैं। इसमें वो राज्य के अलग-अलग ज़िलों में सरकारी योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं. इस यात्रा में जनता की समस्या का समाधान भी ज़मीनी स्तर पर तलाशा जा रहा है। यात्रा के दौरान शनिवार को वैशाली में सीएम नीतीश कुमार की ज़ुबान से कुछ ऐसा निकल गया जो ‘समाधान’ यात्रा के दौरान एक समस्या बन गया। उन्होंने जनसंख्या पर बात करते हुए कहा , “महिलाएं पढ़ लेंगी तभी ये प्रजनन दर घटेगा। असली चीज़ तो वही है...अगर महिलाएं पढ़ी होती हैं तो उनको सब चीज़ का ज्ञान होता। ”
अब नीतीश जी के इस बात को पकड़ कर विपक्ष उन्हें नीचा दिखाने में लगा है और इसे महिलाओं का अपमान बताया जा रहा है । बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर इसे अभद्र और लिंग के आधार पर भेदभाव वाला बयान बताया है, और कहा कि या एक मुख्यमंत्री के लिए अशोभनीय है ।
वही विधान परिषद में विरोधी दल के नेता सम्राट चौधरी ने ट्वीट किया है, “मुख्यमंत्री श्री कुशासन कुमार जी ने जिन अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया वह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। ऐसे शब्दों का प्रयोग कर वह मुख्यमंत्री पद की गरिमा को कलंकित कर रहे हैं।”
इस शब्दो के जंग में जेडीयू ने भी पलटवार किया और बताया की बीजेपी बढ़ती जनसंख्या को धार्मिक उन्माद की तरफ़ ले जाना चाहती है। बीजेपी इसे धर्म से जोड़ती है. जबकि जनसंख्या नियंत्रण शिक्षा में सुधार और सामाजिक बदलाव से ही हो सकता है और बांग्लादेश इसका एक बेहतरीन उदाहरण है।"
यू तो नीतीश कुमार की छवि बिहार में महिला समर्थक वाली रही है, शराब बंदी के बाद बहुत सारी महिलाएं नीतीश कुमार के फैसले से काफी खुश रही है , और उनका सपोर्ट करती है , महिलाओं के लिए सरकार ने साइकिल योजना भी शुरू की थी । अब नजाने इस बयान के बाद महिलाओ की क्या प्रतिक्रिया होगी। वैसे तो बिहार में शब्दों का सियासी जंग हमेशा ही चलता रहता है ।
By : Prabha Dwivedi
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