शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक प्रमुख क्षेत्रीय संगठन है जो यूरेशिया महाद्वीप पर राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है। इसकी स्थापना 2001 में हुई थी और वर्तमान में इसमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान समेत कई सदस्य देश शामिल हैं। भारत 2017 से इसका पूर्ण सदस्य है। 2025 का SCO शिखर सम्मेलन चीन के तियानजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित हो रहा है जो संगठन की 25वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता ने इसे भारत के लिए विशेष महत्वपूर्ण बना दिया है।
राजनयिक महत्व
SCO बैठक भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है जहां वह क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। विशेष रूप से अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापार युद्ध और टैरिफ की स्थिति में यह बैठक भारत-चीन संबंधों को सुधारने का अवसर है। हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और गलवान घाटी संघर्ष के कारण संबंध तनावपूर्ण रहे हैं लेकिन इस सम्मेलन में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात से संबंधों में रीसेट की उम्मीद की जा रही है। यह मोदी की सात वर्षों में चीन की पहली यात्रा है जो दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को दूर करने की दिशा में एक कदम है। एससीओ के माध्यम से भारत रूस और चीन के प्रभुत्व को चुनौती देते हुए संगठन में अपनी भूमिका बढ़ा सकता है।
आर्थिक महत्व
आर्थिक दृष्टि से एससीओ भारत के लिए व्यापार, कनेक्टिविटी और निवेश के अवसर प्रदान करता है। चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और बैठक में रेयर अर्थ मिनरल्स, प्रौद्योगिकी और व्यापार समझौतों पर चर्चा हो सकती है। अमेरिकी टैरिफ के कारण दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है। SCO के अंतर्गत क्षेत्रीय व्यापार मार्गों और ऊर्जा सहयोग पर जोर दिया जाता है जो भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति के अनुरूप है।
सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी
SCO का मुख्य फोकस सुरक्षा और आतंकवाद विरोध है। भारत के लिए यह मंच पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर चर्चा करने का अवसर है। संगठन के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के माध्यम से भारत खुफिया जानकारी साझा कर सकता है।
चीन के साथ सीमा सुरक्षा पर बातचीत से स्थिरता बढ़ सकती है जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद है।
चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
हालांकि बैठक के बावजूद भारत-चीन संबंधों में चुनौतियां बनी हुई हैं जैसे सीमा विवाद और व्यापार असंतुलन। फिर भी SCO वैकल्पिक वैश्विक शासन संरचना का हिस्सा बनकर भारत को बहुपक्षीय मंचों में मजबूती देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वाशिंगटन के साथ संबंधों में गिरावट ने भारत को SCO की उपयोगिता को फिर से खोजने के लिए प्रेरित किया है।
चीन में SCO बैठक भारत के लिए राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का अवसर है बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक संतुलन में भारत की भूमिका को मजबूत करने का माध्यम भी है।
1 Comments
Excellent read 👍🏻
ReplyDelete