भारत सरकार पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुरक्षा और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से ईंधन में इथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा दे रही है। E20 ईंधन का अर्थ है पेट्रोल में 20% इथेनॉल का मिश्रण जबकि E30 में 30% इथेनॉल होता है। यह नीति राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति का हिस्सा है जिसके तहत सरकार ने 2025 तक E20 और 2030 तक E30 को अनिवार्य करने की योजना बनाई है।
E20 और E30 ईंधन क्या हैं?
E20 और E30 इथेनॉल-मिश्रित Petrol है। इथेनॉल एक जैव ईंधन है जो गन्ना, मक्का या अन्य फसलों से प्राप्त होता है। इथेनॉल का मिश्रण पेट्रोल की तुलना में अधिक ऑक्टेन नंबर (108.5 बनाम 84.4) प्रदान करता है जो वाहनों की टॉर्क को बढ़ाता है और सवारी की गुणवत्ता बेहतर होती है। यह मिश्रण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 50-65% तक कम करता है और कार्बन उत्सर्जन में लगभग 30% की कमी लाता है। भारत में E20 को 2025 तक प्राप्त कर लिया गया है जबकि E30 की दिशा में काम चल रहा है।
सरकारी अनिवार्यता
भारत सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति के तहत E20 को 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा था लेकिन इसे 2025 में ही हासिल कर लिया गया है। अप्रैल 2023 से सभी नए वाहनों को E20 कंपेटिबल बनाना अनिवार्य किया गया और अप्रैल 2025 से इसकी सख्ती बढ़ाई गई। जुलाई 2025 तक भारत ने E20 लक्ष्य हासिल कर लिया जिससे 2024-25 में 10 अरब लीटर इथेनॉल की आवश्यकता पूरी हुई।
E30 के लिए सरकार ने 2030 तक 30% मिश्रण का नया लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने, किसानों का समर्थन करने और कच्चे तेल आयात कम करने की रणनीति का हिस्सा है। वर्तमान में E20 को 31 अक्टूबर 2026 तक जारी रखा जाएगा और उसके बाद E30 या उच्च मिश्रण पर निर्णय लिया जाएगा जिसमें इंटर मिनिस्ट्रियल कमिटी की रिपोर्ट शामिल होगी।
सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए जल-बचत वाली फसलों जैसे मक्का को बढ़ावा दिया है और ऑटोमोबाइल निर्माताओं से E20-कंपेटिबल इंजनों का उत्पादन सुनिश्चित किया है।
E20 और E30 अनिवार्यता के कई लाभ हैं:
- पर्यावरणीय लाभ: इथेनॉल मिश्रण से CO2 उत्सर्जन में कमी आती है जो 30 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह भारत की जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है।
- आर्थिक लाभ: 2014-15 से 2024-25 तक विदेशी मुद्रा में 1,44,087 करोड़ रुपये की बचत हुई और 245 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का प्रतिस्थापन हुआ। किसानों को इस वर्ष 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान होने की उम्मीद है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
- ऊर्जा सुरक्षा: इथेनॉल आयात निर्भरता कम करता है और स्वदेशी ईंधन उत्पादन बढ़ाता है।
चुनौतियां और चिंताएं
उपभोक्ताओं को माइलेज में कमी और इंजन क्षति की आशंका है। सरकार का कहना है कि E20-संगत वाहनों (2009 के बाद बने) में माइलेज पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता है और ड्राइविंग एवं रखरखाव अधिक महत्वपूर्ण है। पुराने वाहनों में रबर पार्ट्स और गास्केट बदलने की जरूरत पड़ सकती है लेकिन यह सस्ता और नियमित सर्विसिंग में संभव है।
इथेनॉल की कीमत (31 जुलाई 2025 तक 71.32 रुपये प्रति लीटर) पेट्रोल से अधिक होने के बावजूद सरकार ऊर्जा सुरक्षा के लिए कार्यक्रम जारी रख रही है। इंश्योरेंस वैधता पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
E30 के लिए वर्तमान वाहनों में संगतता की कमी चिंता का विषय है लेकिन सरकार चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य
2025 में भारत ने E20 लक्ष्य हासिल कर लिया है और जनवरी 2025 तक मिश्रण 18% से अधिक हो चुका था। E30 की ओर बढ़ते हुए सरकार मक्का जैसे फीडस्टॉक पर जोर दे रही है। यह नीति न केवल पर्यावरण को बचाएगी बल्कि आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी।
E20 और E30 अनिवार्यता भारत को स्वच्छ और स्वावलंबी ऊर्जा की ओर ले जा रही है हालांकि चुनौतियों का समाधान भी आवश्यक है।
1 Comments
ये जानकारी नई थी मेरे लिए। धन्यवाद।👍🏻
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