मोतिहारी।
संस्कृत विभाग महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय ,मोतिहारी, पूर्णिया कॉलेज,पूर्णिया एवं चातुर्वेद संस्कृत प्रचार संस्थान ,काशी,उत्तरप्रदेश के संयुक्त तत्त्ववधान में चैत्रकृष्णैकादशी के दिन सायं 6 बजे विश्वसंस्कृतकुटम्वकम् नामक आमुखपटलसमूह पर आयोजित आन्तर्जालिक व्याख्यानगोष्ठी का आयोजन किया गया था, जिसका मुख्य विषय श्रीमद्भगवद्गीता में ज्ञानतत्त्व था। इस संगोष्ठी में सभाध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे मानविकी एवं भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,मोतिहारी, बिहार। प्रो. सिंह ने कहा कि जीवन की सभी समस्याओं की समाधान श्रीमद्भगवद्गीता में निहित है। विशिष्टवक्ता के रूप में हिमाचलप्रदेशस्थित सनातनधर्म-आदर्श-संस्कृत-महाविद्यालय के वेद-विभागाध्य डॉ. कृष्णमोहन पाण्डेय उपस्थित थे, जिन्होंने गीता के आलोक में जीवन प्रबन्धन विषयाधारित अपने सहज-सरल वाक्कौशल और सारगर्भित वक्तव्य से सभी श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध किया। सभा में मुख्य वक्त्री के रुप मे उपस्थित कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत-पालि एवं प्राकृत विभाग की पूर्व अध्यक्षा प्रो. विभा अग्रवाल ने श्रीमद्भगवद्गीता में त्रिगुण स्वरूप के विषय में अपने मूल्यवान वक्तव्य से सभी श्रोताओं का ज्ञानभाण्डार वर्धित किया। व्याख्यानगोष्ठी के समन्वयक तथा महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्यामकुमार झा ने स्वागतभाषण से सभी का स्वागत किया। गोष्ठी को सुचारुरूप से संचालन के दायित्व में थे,राजकीय-स्नातकोत्तर-महाविद्यालय,मऊ,उत्तरप्रदेश के सहायकाचार्य डॉ. चन्द्रकान्तदत्तशुक्ल । व्याख्यानगोष्ठी का शुभारम्भ श्रीमाता वैष्णो देवी गुरुकुल के वेदाचार्य डॉ. पूरण चन्द्र जोशी के सुमधुर वेदमन्त्र और ओम्-बाल-संस्कारशाला की अर्पिता शर्मा की गीता श्लोकपाठ से एवं समाप्ति पूर्णिया कॉलेज की संस्कृतविभागाध्यक्षा डॉ. सविता ओझा के धन्यवाद ज्ञापन से हुई।इस अवसर पर सम्पूर्ण देश के संस्कृतविभाग के अन्यान्य आचार्य तथा शताधिक संस्कृतानुरागी आभाषिकपटल से जुड़े रहे। गीता के सिद्धान्तों को व्यवहारिक जीवन में लाना इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य था।
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