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Criminal Neta Bill: भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय


संसद के मानसून सत्र में हाल ही में एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया गया है जिसे अनौपचारिक रूप से 'क्रिमिनल नेता बिल' कहा जा रहा है। यह विधेयक, आधिकारिक रूप से 'संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक 2025' के नाम से जाना जाता है जो राजनीति में आपराधिक तत्वों को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 
गृह मंत्री Amit Shah द्वारा पेश किए गए इस विधेयक को लोकसभा में 20 अगस्त को पेश किया गया और विवादों के बीच इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को सौंपा गया लेकिन संसद के सत्र के दौरान इसे पारित माना जा रहा है।


विधेयक की मुख्य विशेषताएं
यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करता है। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:

- स्वचालित हटाने की व्यवस्था : यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या राज्य मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों (जिनमें न्यूनतम पांच वर्ष की सजा का प्रावधान हो) के तहत गिरफ्तार होता है और लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।

- पुनर्नियुक्ति का प्रावधान : यदि आरोपी को जमानत मिल जाती है या वह बरी हो जाता है, तो वह पद पर पुन: नियुक्त हो सकता है।

- हटाने की प्रक्रिया : केंद्रीय मंत्रियों को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर हटाएंगे जबकि राज्य मंत्रियों को राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर। यदि 31वें दिन तक सलाह नहीं दी जाती, तो पद स्वत: समाप्त हो जाएगा।

- संघ राज्य क्षेत्रों पर लागू : यह दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर जैसे संघ राज्य क्षेत्रों पर भी लागू होता है जिसके लिए दो सहायक विधेयक भी पेश किए गए हैं।

यह विधेयक राजनीतिक पदों पर बैठे लोगों की नैतिकता और जिम्मेदारी को मजबूत करने का प्रयास है। सरकार का तर्क है कि गंभीर आरोपों में फंसे नेता पद पर बने रहकर न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।


उद्देश्य और पृष्ठभूमि
भारतीय राजनीति में आपराधिक तत्वों की बढ़ती संख्या लंबे समय से चिंता का विषय रही है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्टों के अनुसार कई सांसद और विधायक गंभीर आपराधिक मामलों में लिप्त हैं। यह विधेयक इसी समस्या का है। गृह मंत्री अमित शाह ने इसे पेश करते हुए कहा कि यह 'राजनीति की सफाई' के लिए आवश्यक है और विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे जेल से सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं जैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले में।
PM Modi ने भी इसकी सराहना करते हुए कहा कि यह भ्रष्ट और आपराधिक नेताओं को रोकने में मदद करेगा। विधेयक का उद्देश्य लोकतंत्र में जनता का विश्वास बढ़ाना और संवैधानिक पदों की पवित्रता बनाए रखना है।


विपक्ष की प्रतिक्रियाएं और विवाद
विधेयक के पारित होने के दौरान संसद में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने इसे 'लोकतंत्र का अंत' करार दिया। कांग्रेस, टीएमसी, आप और अन्य दलों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक केंद्र सरकार का विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का हथियार बनेगा। 


संभावित प्रभाव
यदि पूरी तरह लागू हुआ तो यह विधेयक राजनीति से आपराधिक तत्वों को दूर कर सकता है लेकिन इसका दुरुपयोग राज्य में अस्थिरता पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक राजनीतिक नैतिकता को मजबूत करेगा लेकिन न्यायिक सुरक्षा की जरूरत है।

'क्रिमिनल नेता बिल' भारतीय राजनीति में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है लेकिन इसके कार्यान्वयन में संतुलन जरूरी है। यह विधेयक लोकतंत्र को मजबूत बनाने का प्रयास है लेकिन विपक्ष के आशंकाओं को दूर करने की आवश्यकता है। आने वाले दिनों में जेपीसी की रिपोर्ट इसकी दिशा तय करेगी।

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