भारत का दूरसंचार क्षेत्र पिछले कुछ दशकों में अभूतपूर्व वृद्धि का साक्षी रहा है। मोबाइल फोन और इंटरनेट की पहुंच ने देश के कोने-कोने को जोड़ा है जिससे डिजिटल क्रांति को बल मिला है। हालांकि इस क्षेत्र में कुछ प्रमुख कंपनियों का प्रभुत्व यानी एकाधिकार (मोनोपॉली) या कुछ कंपनियों का बाजार पर नियंत्रण (ओलिगोपॉली), उपभोक्ताओं, नवाचार और अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है।
दूरसंचार क्षेत्र में एकाधिकार की स्थिति
भारत में दूरसंचार बाजार में वर्तमान में कुछ ही कंपनियां जैसे रिलायंस Jio, भारती Airtel और वोडाफोन-आइडिया (अब VI) का प्रभुत्व है। विशेष रूप से रिलायंस जियो के बाजार में प्रवेश के बाद इसकी आक्रामक मूल्य निर्धारण रणनीति और मुफ्त डेटा ऑफर ने कई छोटी कंपनियों को बाहर कर दिया। टाटा टेलीसर्विसेज, रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल जैसी कंपनियां या तो बंद हो गईं या बाजार में अपनी हिस्सेदारी खो बैठीं। नतीजतन भारत का दूरसंचार बाजार अब कुछ बड़े खिलाड़ियों के नियंत्रण में है।
एकाधिकार के प्रभाव
1. उपभोक्ताओं पर प्रभाव
- मूल्य निर्धारण का दबाव: शुरुआत में जियो जैसे ऑपरेटरों ने कम कीमतों पर डेटा और कॉलिंग की पेशकश की जिससे उपभोक्ताओं को लाभ हुआ। लेकिन जैसे-जैसे प्रतिस्पर्धा कम हुई इन कंपनियों ने हाल के वर्षों में टैरिफ बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। एकाधिकार की स्थिति में उपभोक्ताओं के पास विकल्प सीमित हो जाते हैं जिससे वे बढ़ती कीमतों को स्वीकार करने के लिए मजबूर हैं।
- सेवा की गुणवत्ता: कुछ क्षेत्रों में नेटवर्क की गुणवत्ता और कनेक्टिविटी में कमी देखी गई है। एकाधिकार के कारण ऑपरेटरों पर सेवा सुधार के लिए दबाव कम हो सकता है।
2. नवाचार पर प्रभाव
एकाधिकार की स्थिति में कंपनियों को नए तकनीकों या सेवाओं में निवेश करने की प्रेरणा कम हो सकती है क्योंकि प्रतिस्पर्धा का अभाव होता है। हालांकि 5G तकनीक के क्षेत्र में प्रगति हो रही है लेकिन यह प्रक्रिया धीमी हो सकती है क्योंकि प्रमुख ऑपरेटर अपनी बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इसके अलावा छोटे स्टार्टअप्स या नई कंपनियों के लिए बाजार में प्रवेश करना लगभग असंभव हो गया है।
3. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- रोजगार के अवसरों पर असर: छोटी दूरसंचार कंपनियों के बंद होने से कई लोगों की नौकरियां चली गईं। इसके अलावा एकाधिकार के कारण नए खिलाड़ियों का प्रवेश मुश्किल होने से रोजगार सृजन की संभावनाएं भी कम हुई हैं।
- बाजार की गतिशीलता: एकाधिकार बाजार की गतिशीलता को प्रभावित करता है। छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को उचित मूल्य पर डेटा और कनेक्टिविटी सेवाएं प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
4. ग्रामीण और शहरी असमानता
प्रमुख ऑपरेटरों का ध्यान मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों और लाभकारी बाजारों पर रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क विस्तार और सेवा की गुणवत्ता में निवेश अपेक्षाकृत कम होता है। इससे डिजिटल डिवाइड (Digital Divide) बढ़ रहा है जिसका दीर्घकालिक प्रभाव भारत की समावेशी विकास नीतियों पर पड़ सकता है।
सरकारी नीतियां और नियामक भूमिका
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) और सरकार ने इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि स्पेक्ट्रम नीलामी की उच्च लागत, लाइसेंस शुल्क और अन्य वित्तीय दबावों ने छोटी कंपनियों के लिए बाजार में टिकना मुश्किल कर दिया है। सरकार को ऐसी नीतियां बनाने की आवश्यकता है जो नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करें और एकाधिकार को नियंत्रित करें।
भारत में दूरसंचार क्षेत्र का एकाधिकार उपभोक्ताओं, नवाचार और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। हालांकि कम कीमतों और व्यापक कनेक्टिविटी ने डिजिटल क्रांति को गति दी है लेकिन दीर्घकाल में एकाधिकार के दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। सरकार, नियामक और उद्योग को मिलकर ऐसी रणनीतियां बनानी होंगी जो प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दें, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करें और ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएं। तभी भारत का दूरसंचार क्षेत्र सही मायनों में समावेशी और नवाचार-प्रधान बन सकेगा।

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