सिरिशा बांदला, कल्पना चावला के बाद भारतीय मूल की दूसरी महिला, जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा कर भारत का नाम रोशन किया है।
11 जुलाई 2021 को अंतरिक्ष में कदम रखने वाली सिरिशा, चौथी ऐसी भारतीयों मे से एक हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में जाने का सपना साकार किया है। इसके पहले राकेश शर्मा, कल्पना चावला व सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष की उड़ान भर चुके हैं।
सिरिशा बांदला वर्जिन गेलेक्टिक की वीएसएस यूनिटी मे सवार रिचर्ड ब्रांसन व अन्य चार साथियों के साथ उड़ान भरी। वर्जिन गेलेक्टिक के संस्थापक रिचर्ड ब्रांसन के साथ सदस्य दल के हिस्सा के रूप में, सिरिशा की भूमिका एक शोधकर्ता के रूप में थी।
*‘सितारों से आगे जहां और भी है...’* भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री शिरिषा बांदला के लिए अल्लामा इकबाल की ये पंक्तियां बिल्कुल सटीक लगती हैं क्योंकि उनके सपनों में हमेशा आकाशगंगा ही रहती थीं।
*भारत की गुरुर सिरिशा बांदला के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक तथ्य*
सिरिशा बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के गूंटूर जिले में हुआ था। उनका पालन-पोषण वह पढ़ाई हयूस्टन एक्सेस अमेरिका में हुआ। पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से सिरिशा ने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग मे ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद सिरिशा जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी से एमबीए किया।
बता दे कि सिरिशा बचपन से ही उड़ान भरने का शौक रखती थीं। रॉकेट्स तथा अंतरिक्षयानो से लगाओ और वायु सेना मे पायलट बनने के सपने के साथ पाली बांदला दृष्टि में कमजोरी होने के कारण पायलट नही बन सकी।
पेशे से सिरिशा एक एस्ट्रोनॉट है। बांदला ने 2005 में वर्जिन गेलेक्टिक मे कार्य करना शुरू किया था और वर्तमान में वह कंपनी की वाइस प्रेसिडेंट है। इसके अलावा उन्होंने गैलेक्टिक के लिए वाशिंगटन ऑपरेशन को भी संभाला था।
हाल में ही बांदला ने 747 विमान का उपयोग कर अंतरिक्ष में एक उपग्रह को भी पहुंचाया था।
वर्जिन गेलेक्टिक मे काम करने के पहले बांदला ने टेक्सस मे ही एक एयर स्पेस इंजीनियर(ASE) के रुप मे काम संभाला था जिसके बाद उन्हें कमर्शियल स्पेस फ्लाइट फेडरेशन(CSFF) मे अंतरिक्ष नीति मे नौकरी मिली। और वहां पर वह एसोसिएट डायरेक्टर भी रह चुकी हैं।
तेलगु मूल की सिरिशा बांदला, तेलगु एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमरीका से भी जुड़ी हैं जो उत्तरी अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे पुराना इंडो अमेरिकन संगठन है।
*बांदला ने बताया किससे हैं प्रभावित*
अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा का बांदला पर बड़ा प्रभाव था। बांदला ने बताया कि मैं खुद से कहती थी कि यह कुछ ऐसा है जो मैं कर सकताी हूं क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि और मेरी संस्कृति से भी किसी ने ऐसा किया है।
*“मैंने फैसला किया था कि अंतरिक्ष में जाना है चाहे कुछ भी हो। मुझे नहीं पता था कि यह कब होने वाला है, लेकिन मुझे पूरा यकीन था कि मैं इसे किसी दिन हकीकत बनाऊंगी। मैं इसका श्रेय अपने दादा-दादी और मेरे माता-पिता को देती हूं, जिन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया, अपने सपने का पीछा करते रहने के लिए प्रेरित किया।“*
5 Comments
Aachi baat h
ReplyDeleteKnowledgeable
ReplyDeleteTeam "एकतंत्र" , you all are doing good ❤️.
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ReplyDeleteNice and praiseworthy
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