भारत को 9 सितंबर 2025 को अपना 15वां उपराष्ट्रपति मिल गया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत हासिल की है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराया। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 300 वोट प्राप्त हुए। यह जीत न केवल एनडीए की ताकत को दर्शाती है बल्कि राधाकृष्णन के राजनीतिक अनुभव और उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा की स्वीकार्यता को भी रेखांकित करती है।
शपथ ग्रहण समारोह
सी. पी. राधाकृष्णन 12 सितंबर 2025 को सुबह 9:30 बजे नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी। इस समारोह में एनडीए के वरिष्ठ नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं और इसे एक शुभ समय पर आयोजित किया जाएगा जैसा कि एनडीए के सूत्रों ने बताया।
कौन हैं सी. पी. राधाकृष्णन?
चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन जिन्हें C.P Radhakrishnan के नाम से जाना जाता है, का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ था। उनके परिवार का राजनीति से गहरा नाता रहा है। उनके चाचा सी. के. कुप्पुसामी तीन बार कांग्रेस के सांसद रहे और राधाकृष्णन का परिवार पिछले 25 वर्षों से राजनीति में सक्रिय है। उनकी मां जानकी अम्मा जो एक प्राथमिक स्कूल शिक्षिका थीं, ने उनके नामकरण में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से प्रेरणा ली थी।
राधाकृष्णन ने तूतीकोरिन के वी. ओ. चिदंबरम कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री हासिल की और बाद में राजनीति विज्ञान में पीएचडी पूरी की। उनकी थीसिस का विषय था 'सामंतवाद का पतन', जिसके लिए उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिली।
राजनीतिक करियर और योगदान
सी. पी. राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर चार दशकों से अधिक का रहा है। उन्होंने 1974 में जनसंघ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। तमिलनाडु के कोंगु बेल्ट में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1998 में उन्होंने कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीता और क्षेत्र में बीजेपी की स्थिति को मजबूत किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी से उनका गहरा जुड़ाव रहा है जिसने उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा को और मजबूती दी।
67 वर्षीय राधाकृष्णन मधुरभाषी और विवादों से दूर रहने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। उनकी यह छवि और लंबा प्रशासनिक अनुभव उन्हें राज्यसभा के पदेन सभापति की भूमिका निभाने में सहायक होगा। वह तमिलनाडु से इस पद पर पहुंचने वाले तीसरे नेता होंगे।
राष्ट्रवादी विचारधारा की जीत
उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अपने पहले सार्वजनिक भाषण में राधाकृष्णन ने कहा, "विपक्षी गठबंधन ने इसे वैचारिक लड़ाई बताया था, लेकिन मतदान के पैटर्न से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रवादी विचारधारा विजयी हुई है।" उन्होंने इसे प्रत्येक भारतीय की जीत बताते हुए 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों महत्वपूर्ण हैं और वह अपनी नई भूमिका में निष्पक्षता और समानता के साथ कार्य करेंगे।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने राधाकृष्णन को शुभकामनाएं दीं और उन्हें भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के आदर्शों की याद दिलाई। उन्होंने डॉ. राधाकृष्णन के 1952 के उद्घाटन भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति को सभी दलों के प्रति निष्पक्षता और समानता के साथ कार्य करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति (Vice President) का चुनाव संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—के निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। इस बार 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया जिससे 98.2% मतदान दर्ज किया गया। 752 मत वैध थे और राधाकृष्णन ने 452 वोटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया।
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