नेपाल के राजनीतिक इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश Sushila Karki को देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है। यह नियुक्ति हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद हुई जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनाक्रोश को जन्म दिया और पूर्व प्रधानमंत्री K.P Sharma Oli को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 12 सितंबर को कार्की को शपथ दिलाई जो नेपाल की राजनीति में महिलाओं के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रही है।
हिंसक प्रदर्शनों का पृष्ठभूमि: भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का विद्रोह
सितंबर के प्रारंभिक दिनों में नेपाल में Gen Z युवाओं द्वारा शुरू किया गया शांतिपूर्ण प्रदर्शन तेजी से हिंसक रूप धारण कर लिया। युवा भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और नेताओं के बच्चों की लग्जरी जीवनशैली के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। सोशल मीडिया पर "नेपो किड्स" (भाई-भतीजावादी बच्चों) के खिलाफ अभियान ने लाखों युवाओं को एकजुट किया।
प्रदर्शनों के दौरान काठमांडू सहित कई शहरों में सरकारी भवनों में आग लगाई गई जिसमें संसद भवन भी जल गया। हिंसा में कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई जबकि 1,300 से अधिक घायल हुए। हजारों कैदी जेलों से भाग निकले जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ गई। सेना को राजधानी पर नियंत्रण लेना पड़ा और सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल ने आपातकाल की चेतावनी दी।
इन घटनाओं ने प्रधानमंत्री ओली को 9 सितंबर को इस्तीफा देने के लिए बाध्य कर दिया। ओली ने अपनी आधिकारिक निवास छोड़ दिया और राष्ट्रपति पौडेल, सेना प्रमुख तथा प्रदर्शनकारियों के बीच दो दिनों की तीव्र वार्ताओं के बाद संसद भंग कर दी गई। नए चुनाव 5 मार्च 2026 को निर्धारित किए गए हैं।
सुशीला कार्की: न्याय की मूर्ति से सत्ता की कुर्सी तक
73 वर्षीय सुशीला कार्की नेपाल की सर्वोच्च न्यायालय की पहली और एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ और उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद न्यायिक सेवा में प्रवेश किया। 2012 में कार्की ने एक अन्य न्यायाधीश के साथ मिलकर एक सत्तारूढ़ मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा जो नेपाल में पहली बार हुआ था।
कार्की की नियुक्ति प्रदर्शनकारियों द्वारा डिस्कॉर्ड ऐप पर अनौपचारिक मतदान से समर्थित हुई। उन्होंने कहा, "ये युवा लड़के-लड़कियां मुझसे अनुरोध कर रहे थे, इसलिए मैंने यह जिम्मेदारी स्वीकार की।" उनके समर्थक उन्हें साहसी और दबाव में न झुकने वाली मानते हैं। पूर्व सहकर्मी अनिल कुमार सिन्हा ने कहा, "उनकी अखंडता कभी संदेह के घेरे में नहीं आई।"
कार्की को संसद के सदस्य न होने के बावजूद अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया, क्योंकि संसद भंग होने से यह संभव हो गया। संयुक्त राष्ट्र ने उनकी नियुक्ति का स्वागत किया है, जबकि भारत ने शांति और स्थिरता की उम्मीद जताई है।
अंतरिम सरकार की चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करते हुए मंत्रिमंडल गठन करना है और मार्च 2026 तक नए चुनाव कराने हैं। नेपाल, जो भारत और चीन के बीच स्थित है, लंबे समय से राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है। 2008 में राजतंत्र समाप्त होने के बाद भी भ्रष्टाचार और बेरोजगारी प्रमुख समस्याएं बनी हुई हैं जिसके कारण लाखों नेपाली विदेशों में काम की तलाश में चले जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि कार्की की सरकार युवाओं की मांगों को पूरा करने में सफल हो सकती है लेकिन राजनीतिक अनिश्चितता लंबे समय तक बनी रह सकती है। एक Gen Z नेता ने कहा, "हमने संसद भंग करने का समझौता किया, लेकिन अब सुधार जरूरी हैं।"
नेपाल के इस बदलाव से न केवल देश की राजनीति में महिलाओं को मजबूती मिलेगी बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को नई दिशा भी मिलेगी। सुशीला कार्की का कार्यकाल छोटा हो सकता है लेकिन इसका प्रभाव लंबा चलेगा।
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