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राजनीतिक तनावों का मैदान बना India-Pakistan मैच ! आखिर क्यों हो रहा है इतना विरोध ?



भारत और पाकिस्तान के बीच Asia Cup 2025 का ग्रुप ए मुकाबला खेला जा रहा है। यह मैच आज सिर्फ राजनीतिक विवादों का केंद्र है। April 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। इसके बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम से भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई हुई जिसमें पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ। ऐसे में यह मैच खेल से ज्यादा राजनीति का प्रतीक बन गया है।


विवाद की जड़: पहलगाम हमला और बहिष्कार की मांगें

पहलगाम हमले ने पूरे भारत को झकझोर दिया था। हमलावरों ने पर्यटकों को कुरान की आयतें सुनाने को कहा और बाद में निर्ममता से गोली मार दी। हमले की शिकार शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या द्विवेदी ने BCCI पर सवाल उठाते हुए कहा, "पहलगाम में मारे गए 26 लोगों के लिए बीसीसीआई के पास कोई भावना नहीं बची। यह गलत है।" सोशल मीडिया पर #BoycottIndvsPak ट्रेंड कर रहा है, जहां क्रिकेट प्रशंसक और पूर्व खिलाड़ी बहिष्कार की मांग कर रहे हैं।

बीसीसीआई ने स्पष्ट किया है कि यह मैच सरकार की नीति के अनुसार हो रहा है। बोर्ड के महासचिव देवजित सैकिया ने कहा, "हम बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले रहे हैं, क्योंकि सरकार ने कोई रोक नहीं लगाई। द्विपक्षीय सीरीज में पाकिस्तान से नहीं खेलेंगे लेकिन मल्टीलेटरल इवेंट्स में भागीदारी अनिवार्य है।" अन्यथा आईसीसी जैसे संगठनों से प्रतिबंध लग सकता है जो भारतीय एथलीटों को प्रभावित करेगा। फिर भी कई लोग इसे 'लाभ के लिए देशभक्ति की बलि' बता रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में भी मामला पहुंचा। चार लॉ स्टूडेंट्स ने पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (पीआईएल) दायर की जिसमें मैच रद्द करने की मांग की गई। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा "यह तो बस एक मैच है।" आईपीएल टीम पंजाब किंग्स ने भी अनोखा विरोध जताया—उनके सोशल मीडिया पोस्ट में पाकिस्तान का जिक्र ही नहीं किया गया।


राजनीतिक रंग: विपक्ष का हमला, बीजेपी का बचाव

यह विवाद अब संसदीय बहस का विषय बन गया है। शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "रक्त और पानी एक साथ नहीं बह सकते। यह शहीदों के अपमान के समान है।" उन्होंने खेल मंत्री के इस्तीफे की मांग की और बीसीसीआई को भंग करने की बात कही। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा, पूछा कि क्या पैसे शहीदों की कुर्बानी से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं?

दूसरी ओर BJP ने इसे राष्ट्रीय गौरव का मुद्दा बताया। महाराष्ट्र मंत्री नितेश राणे ने शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा, "आदित्य ठाकरे चुपके से बुर्का पहनकर मैच देखने जाएंगे।" पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसे 'अनिवार्यता' करार दिया। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी बीजेपी पर सवाल उठाए, "क्या 26 नागरिकों की जिंदगियां पैसे से सस्ती हैं?"

पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने प्रशंसकों से अपील की "खिलाड़ियों को निशाना न बनाएं। यह सरकार का फैसला है।" बॉलीवुड में भी मतभेद हैं—कुछ सितारे मैच का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ चुप्पी साधे हैं।


ऐतिहासिक संदर्भ: राजनीति और क्रिकेट का पुराना नाता

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट हमेशा से राजनीति से जुड़ा रहा है। 1986 में भारत ने श्रीलंका में एशिया कप का बहिष्कार किया। 1990 में पाकिस्तान ने भारत में हो रहे एशिया कप से हट गया। 1993 में दोनों देशों के तनाव के कारण टूर्नामेंट ही रद्द हो गया। 2008 में भारत ने पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी से नाम वापस ले लिया। लेकिन आज जब बीसीसीआई आर्थिक रूप से मजबूत है तब भी मैच हो रहा है। आलोचक कहते हैं, "पैसे ने देशभक्ति को हरा दिया।"

एशिया कप 2025 यूएई में हो रहा है क्योंकि भारत को होस्टिंग राइट्स मिली थीं लेकिन तनाव के कारण जगह बदली गई। दोनों टीमें ग्रुप स्टेज में दो बार भिड़ सकती हैं और सुपर फोर में तीसरी। भारत के कप्तान सूर्यकुमार यादव और पाकिस्तान के सलमान आगा के नेतृत्व में यह मुकाबला रोमांचक होता लेकिन उत्साह की कमी साफ दिख रही है। 


खेल या राजनीति का मैदान?

एशिया कप का यह मैच क्रिकेट से ज्यादा एक राजनीतिक बयान बन गया है। जहां एक तरफ प्रशंसक खेल को राजनीति से अलग रखना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ पहलगाम के शिकारों के परिवार और राष्ट्रवादी जनता इसे अपमान बता रही हैं। बीसीसीआई और सरकार बहुराष्ट्रीय दबाव का हवाला दे रही हैं, लेकिन सवाल वही है—क्या खेल आतंकवाद के खिलाफ मजबूत संदेश दे सकता है, या यह बस व्यापार है?


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