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Saudi Arab और Pakistan समझौता: क्या होगा India पर इसका प्रभाव ?



Saudi Arab और Pakistan के बीच हाल ही में हुआ 'Strategic Mutual Defence Aggreement' दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व में सुरक्षा समीकरणों के लिए बेहद महत्वपूर्ण घटनाक्रम है. इस समझौते का सीधा अर्थ है कि अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और संयुक्त रूप से जवाब दिया जाएगा. यह समझौता भारत सहित पूरे क्षेत्र में कई तरह की रणनीतिक और सुरक्षा चिंता को जन्म देता है.


समझौते की प्रमुख बातें

समझौते के अनुसार अगर सऊदी अरब या पाकिस्तान पर कोई हमला होता है तो दोनों देश उसे अपनी संप्रभुता पर आक्रमण मानकर साझा प्रतिरक्षा करेंगे.

इसका मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना और किसी भी आक्रमण के खिलाफ मिलकर संयुक्त प्रतिरोध खड़ा करना है.

यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका की सुरक्षा गारंटी कमज़ोर पड़ती दिख रही है और इज़राइल-फिलिस्तीन/गाज़ा संघर्ष ने क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा दिया है. पाकिस्तान के पास परमाणु क्षमता है इसलिए यह समझौता और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.


भारत की दृष्टि से प्रभाव

भारत ने इस समझौते पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह इस घटनाक्रम के राष्ट्रीय सुरक्षा व क्षेत्रीय स्थिरता पर संभावित प्रभावों का अध्ययन करेगा. सऊदी अरब के साथ भारत के भी व्यापार, ऊर्जा और रक्षा संबंध लगातार मज़बूत हुए हैं. ऐसे में भारत दोहरी रणनीति अपना सकता है: अपने रिश्तों को मजबूत रखना और नई चुनौतियों से निपटने की तैयारी करना.

यह समझौता भारत–पाकिस्तान के हालिया सैन्य टकराव के बाद हुआ है, जिसमें मई 2025 में दोनों देशों के बीच सीमित संघर्ष हुआ था. भारत के सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि फ़िलहाल यह समझौता पाकिस्तान को एक अतिरिक्त रणनीतिक कवच तो प्रदान करता है लेकिन सऊदी-अरब की भारत के साथ ऊर्जा और आर्थिक साझेदारी में किसी तरह की कटौती की संभावना बेहद कम है.


क्षेत्रीय स्थिरता पर असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह समझौता क्षेत्रीय 'Mini NATO' जैसा है और पारंपरिक सुरक्षा ढांचे को प्रभावित करेगा. खाड़ी में अमेरिकी प्रभाव कम होने और ईरान तथा इज़राइल से बढ़ते तनाव के चलते सऊदी और पाकिस्तान का साथ आना एक नया सामरिक गठजोड़ दिखाता है.

नई दिल्ली के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि इससे पाकिस्तान को रणनीतिक आत्मविश्वास मिलेगा जो दक्षिण एशिया में शक्ति-संतुलन बदल सकता है.


सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुआ म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट न केवल उनके सामरिक संबंधों को औपचारिक बनाता है बल्कि दक्षिण एशिया और खाड़ी क्षेत्र में शक्ति-संतुलन को भी प्रभावित करता है. भारत ने फिलहाल संयमित रुख अपनाया है, लेकिन भविष्य में यह समझौता नई चुनौतियाँ पैदा कर सकता है, विशेष रूप से भारत–पाकिस्तान और भारत–सऊदी सम्बन्धों के संदर्भ में.

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