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भारत-अमेरिका व्यापार तनाव के बीच गूगल सेवाओं पर प्रतिबंध की अटकलें! क्या है विकल्प ?



भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार तनाव ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला दिया है। 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगाया जो बाद में रूसी तेल खरीद के कारण 50% तक बढ़ गया। इस कदम से भारत के 48.2 अरब डॉलर के निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। भारत सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने की बात की है और सोशल मीडिया पर अमेरिकी सामानों के बहिष्कार की मांग उठ रही है जिसमें मेटा के व्हाट्सएप जैसी सेवाएं शामिल हैं। इन तनावों के बीच, एक नई अटकल उभर रही है: क्या भारत गूगल की सेवाओं पर प्रतिबंध लगा सकता है? हालांकि यह अभी केवल कयास है लेकिन डिजिटल सेवाओं पर करों और तकनीकी दिग्गजों पर दबाव के संदर्भ में यह संभव लगता है। 


व्यापार तनाव की पृष्ठभूमि

2025 की शुरुआत से ही भारत-अमेरिका संबंधों में दरार आई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत को "व्यापारिक दुर्व्यवहार" का दोषी ठहराते हुए शुल्क बढ़ाए खासकर रूसी तेल आयात के कारण। भारत ने इसका जवाब देते हुए अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे बाजारों में निर्यात बढ़ाने की योजना बनाई है। साथ ही रूस और चीन के साथ निकटता बढ़ रही है। इन तनावों ने अमेरिकी तकनीकी कंपनियों को निशाना बनाया है। ट्रंप ने डिजिटल सेवाओं पर करों को अमेरिकी कंपनियों जैसे अमेज़न और गूगल के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया है। भारत में ट्रंप के शुल्कों के जवाब में अमेरिकी उत्पादों के बहिष्कार की कॉल दी जा रही है जो गूगल जैसी सेवाओं तक फैल सकती है। यदि यह अटकल सही साबित हुई तो करोड़ों भारतीय यूजर्स प्रभावित होंगे क्योंकि गूगल की सेवाएं दैनिक जीवन का हिस्सा हैं।


गूगल मोबाइल सेवाएं (GMS) क्या हैं?

GMS गूगल द्वारा प्रदान की जाने वाली Android डिवाइसों के लिए आवश्यक सेवाओं का पैकेज है। इसमें Google Search, YouTube, Google Maps, G-mail, Google Play Store, Google Drive और अन्य ऐप्स शामिल हैं। अधिकांश एंड्रॉइड फोन जीएमएस के साथ आते हैं जो पुश नोटिफिकेशन, लोकेशन सेवाएं और ऐप अपडेट जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं। यदि भारत में गूगल सेवाओं पर प्रतिबंध लगा तो नए फोन बिना GMS के आ सकते हैं जैसा कि Huawei के साथ हुआ था। इससे यूजर्स को ऐप इंस्टॉलेशन और सिंकिंग में समस्या हो सकती है।


प्रतिबंध की अटकलें और प्रभाव

हालांकि कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन व्यापार युद्ध के संदर्भ में यह संभव है। भारत पहले ही चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा चुका है और अब अमेरिकी सेवाओं पर नजर रख सकता है। प्रभाव: करोड़ों यूजर्स को ईमेल, नेविगेशन और वीडियो स्ट्रीमिंग में परेशानी होगी। लेकिन अच्छी खबर यह है कि विकल्प उपलब्ध हैं। भारत जैसे देश में स्वदेशी ऐप्स और ओपन-सोर्स सॉल्यूशंस तेजी से विकसित हो रहे हैं।


GMS के विकल्प

यदि GMA अनुपलब्ध हो जाए, तो यूजर्स निम्नलिखित विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं:

1. ऑपरेटिंग सिस्टम स्तर पर विकल्प: एंड्रॉइड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट (AOSP) पर आधारित Custom Rom जैसे Lineage OS का उपयोग किया जा सकता है। ये GMS के बिना चलते हैं और माइक्रोजी (MicroG) जैसे टूल से गूगल सेवाओं की नकल कर सकते हैं। Huawei की Harmony OS या Petal Search जैसी सेवाएं भी उदाहरण हैं।

2. सर्च इंजन: गूगल सर्च के बजाय DuckDuckGo या Bing का उपयोग करें जो प्राइवेसी-फोकस्ड हैं।

3. ईमेल और क्लाउड स्टोरेज: Gmail के विकल्प में Protonmail या Outlook। Google Drive के लिए OneDrive या नेक्स्टक्लाउड।

4. मैप्स और नेविगेशन: गूगल मैप्स की जगह ओपनस्ट्रीटमैप (ओएसएम), मैप्स.मी या वेज़ (हालांकि वेज़ गूगल का है लेकिन विकल्प उपलब्ध)। भारत में MapMyIndia एक स्वदेशी विकल्प है।

5. वीडियो स्ट्रीमिंग: यूट्यूब के लिए Newpipe (ओपन-सोर्स ऐप जो विज्ञापनों से मुक्त है) या Vimeo।

6.  ऐप स्टोर: गूगल प्ले स्टोर के बजाय F-droid (ओपन-सोर्स ऐप्स के लिए) या Aurora Store (प्ले स्टोर का विकल्प)। 

7. अन्य सेवाएं: गूगल फोटोज के लिए सिंपल गैलरी, गूगल मिट के लिए सिग्नल या टेलीग्राम। पेमेंट के लिए जीपे के बजाय भारत का UPI या अन्य लोकल ऐप्स।


ये विकल्प न केवल कार्यक्षम हैं बल्कि अक्सर बेहतर प्राइवेसी प्रदान करते हैं। भारत सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी ऐप्स को बढ़ावा दे रही है जो इस स्थिति में फायदेमंद साबित हो सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार तनाव गूगल सेवाओं पर प्रतिबंध की अटकलों को हवा दे रहे हैं लेकिन यह अभी काल्पनिक है। यदि ऐसा हुआ तो जीएमएस के विकल्प उपलब्ध हैं जो यूजर्स को निर्बाध अनुभव दे सकते हैं। यह स्थिति भारत को तकनीकी स्वतंत्रता की ओर धकेल सकती है जहां ओपन-सोर्स और लोकल सॉल्यूशंस प्रमुख भूमिका निभाएंगे। 


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