Ticker

6/recent/ticker-posts

भारत में चिप निर्माण: विकास और भविष्य की संभावनाएं

 


आधुनिक तकनीक की दुनिया में सेमीकंडक्टर चिप्स किसी भी डिजिटल उपकरण का दिल माने जाते हैं। स्मार्टफोन, लैपटॉप, चिकित्सा उपकरण, ऑटोमोबाइल से लेकर रक्षा और अंतरिक्ष प्रणालियों तक हर क्षेत्र में चिप्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत जो पहले से ही सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर विकास में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है अब चिप निर्माण के क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। 


भारत में चिप निर्माण का विकास

पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार और निजी क्षेत्र ने सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान विशेष रूप से कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक तनावों ने भारत को स्वदेशी चिप निर्माण की आवश्यकता को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर किया है।


1. सरकारी पहल:

   - इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): 2021 में शुरू किया गया यह मिशन 76,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए समर्पित है। इस मिशन के तहत चिप निर्माण, डिजाइन और पैकेजिंग के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं।

   - प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम: इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए PLI योजना ने कई देशी और विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया है।

   - डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) स्कीम: इस योजना के तहत स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों को चिप डिजाइन के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता दी जा रही है जिससे स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है।


2. निजी क्षेत्र की भूमिका:

   - टाटा समूह और वेदांता जैसी भारतीय कंपनियां सेमीकंडक्टर निर्माण में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। टाटा ने गुजरात के धोलेरा में एक मेगा सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने की योजना बनाई है जो 2026 तक शुरू हो सकती है।

   - वैश्विक दिग्गज जैसे माइक्रॉन टेक्नोलॉजी ने गुजरात में मेमोरी चिप निर्माण के लिए 22,500 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, फॉक्सकॉन और अन्य कंपनियां भारत में चिप असेंबली और टेस्टिंग इकाइयां स्थापित करने की दिशा में काम कर रही हैं।

   - कई स्टार्टअप्स जैसे कि सिग्नलचिप और माइंडग्रोव टेक्नोलॉजीज स्वदेशी चिप डिजाइन में योगदान दे रहे हैं जो भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहे हैं।


3. शिक्षा और अनुसंधान:

   - भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन और निर्माण के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। IITs, NITs और अन्य तकनीकी संस्थानों ने सेमीकंडक्टर डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित विशेष पाठ्यक्रम शुरू किए हैं।

   - चंडीगढ़ में सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL) जैसे अनुसंधान केंद्र स्वदेशी चिप विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


चुनौतियां

चिप निर्माण के क्षेत्र में भारत की प्रगति के बावजूद कई चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं:

1. उच्च पूंजी निवेश: एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने में अरबों डॉलर की लागत आती है जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए एक बड़ी बाधा है।

2. कुशल कार्यबल की कमी: चिप निर्माण और डिजाइन के लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है और भारत में अभी भी इस क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी है।

3. आपूर्ति श्रृंखला की कमी: सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए उच्च शुद्धता वाले सिलिकॉन, रसायन और अन्य कच्चे माल की आपूर्ति भारत में सीमित है।

4. प्रौद्योगिकी अंतर: वैश्विक दिग्गज जैसे TSMC और Samsung के पास अत्याधुनिक तकनीक है जबकि भारत अभी इस क्षेत्र में शुरुआती चरण में है।


भविष्य की संभावनाएं

भारत में चिप निर्माण का भविष्य अत्यंत आशाजनक है। सरकार की नीतियां, वैश्विक निवेश और बढ़ती मांग भारत को इस क्षेत्र में एक प्रमुख गंतव्य बनाने की क्षमता रखती हैं। 

भारत में चिप निर्माण का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और यह देश के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। सरकार की नीतियां, निजी क्षेत्र का उत्साह और वैश्विक रुचि भारत को सेमीकंडक्टर उद्योग में एक वैश्विक शक्ति बनाने की क्षमता रखती हैं। हालांकि चुनौतियां मौजूद हैं लेकिन सही रणनीति, निवेश और कुशल मानव संसाधन के साथ भारत न केवल अपनी तकनीकी जरूरतों को पूरा कर सकता है बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कर सकता है। अगले कुछ वर्षों में भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम होगा बल्कि वैश्विक तकनीकी क्रांति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

Post a Comment

0 Comments