हाल ही में अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद को कम करने या बंद करने के लिए दबाव बढ़ाया है। इसके पीछे कई भू-राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक कारण हैं जो वैश्विक शक्ति संतुलन और क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं।
1. रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक प्रतिबंध
2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और युद्ध के लिए उसकी वित्तीय क्षमता को सीमित करना था। भारत जो रूस से सस्ता तेल और सैन्य उपकरण खरीदता है इन प्रतिबंधों को प्रभावी बनाने में एक चुनौती बन गया है। रूस से तेल खरीदकर भारत अप्रत्यक्ष रूप से रूस की अर्थव्यवस्था को समर्थन देता है जो अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चिंता का विषय है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल आयात कम करे ताकि रूस की आय पर अंकुश लगे और प्रतिबंधों का प्रभाव बढ़े। हालांकि भारत ने इस दबाव का विरोध करते हुए कहा है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा।
2. भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी
पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई है विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए। क्वाड (QUAD) और अन्य बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। हालांकि भारत का रूस के साथ घनिष्ठ संबंध विशेष रूप से सैन्य उपकरणों की खरीद, अमेरिका के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है।
अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी सैन्य तकनीक और हथियारों पर निर्भर हो जैसे कि रूस से खरीदे जाने वाले S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के बजाय अमेरिकी पैट्रियट सिस्टम। इसके पीछे दो कारण हैं: पहला यह कि अमेरिकी हथियार उद्योग को लाभ पहुंचाया जाए और दूसरा यह कि भारत को रूस के प्रभाव से दूर ले जाना।
3. CAATSA और सैन्य निर्भरता
अमेरिका का काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट (CAATSA) रूस, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों के साथ सैन्य और आर्थिक लेन-देन करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है। भारत के रूस से S-400 सिस्टम खरीदने के फैसले ने CAATSA के तहत संभावित प्रतिबंधों का खतरा पैदा किया था हालांकि अमेरिका ने भारत को विशेष छूट दी। फिर भी अमेरिका भारत को रूस से सैन्य उपकरण खरीदने से रोकना चाहता है ताकि भारत की रक्षा प्रणाली पूरी तरह से पश्चिमी तकनीक पर निर्भर हो और रूस के साथ उसकी सैन्य साझेदारी कमजोर हो।
4. चीन के खिलाफ हिंद-प्रशांत रणनीति
अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति में भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका भारत को अपने पक्ष में मजबूती से चाहता है। रूस, जो हाल के वर्षों में चीन के साथ करीब आया है, अमेरिका की इस रणनीति के लिए एक जटिलता पैदा करता है। भारत का रूस से तेल और हथियार खरीदना अमेरिका को यह संदेश देता है कि भारत पूरी तरह से पश्चिमी खेमे में नहीं है। इसलिए अमेरिका भारत को रूस से दूरी बनाने के लिए दबाव डालता है ताकि भारत पूरी तरह से उसकी रणनीति के साथ तालमेल बिठाए।
5. वैश्विक ऊर्जा बाजार में प्रभाव
रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत ने अपनी ऊर्जा लागत को कम किया है जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है। हालांकि यह अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के हितों के खिलाफ जाता है जो चाहते हैं कि वैश्विक तेल बाजार में उनकी कंपनियां और सहयोगी देश जैसे सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देश प्रमुख भूमिका निभाएं। भारत का रूस से तेल आयात कम होने पर ये देश भारत के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं जो अमेरिका के लिए आर्थिक और रणनीतिक रूप से फायदेमंद है।
6. भारत की स्वायत्त विदेश नीति
भारत ने हमेशा अपनी स्वायत्त विदेश नीति को प्राथमिकता दी है जिसमें वह किसी एक शक्ति ब्लॉक के साथ पूरी तरह से नहीं जुड़ता। रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध, विशेष रूप से रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में, भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका को यह चिंता है कि भारत की यह स्वायत्तता उसकी वैश्विक रणनीति में बाधा डाल सकती है। इसलिए वह भारत को रूस से दूरी बनाने के लिए दबाव डाल रहा है ताकि भारत पश्चिमी देशों के साथ अधिक निकटता से जुड़े।
अमेरिका का भारत पर रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने से रोकने का दबाव कई स्तरों पर काम करता है। यह रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में रूस को कमजोर करने, भारत को अपनी रणनीतिक साझेदारी में पूरी तरह शामिल करने, और वैश्विक ऊर्जा और हथियार बाजार में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश है। हालांकि, भारत अपनी राष्ट्रीय हितों और स्वायत्त विदेश नीति को ध्यान में रखते हुए इस दबाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। यह स्थिति वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती भूमिका और उसकी रणनीतिक स्वतंत्रता को रेखांकित करती है।
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Photo Credit : Al Jazeera

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